सही निवेश करें! जानिए ‘निवेश का सच’  

(रवि कुमार, सीईओ और सह-संस्थापक, अपस्टॉक्स)  

मुंबई- हमारे स्कूल और कॉलेज हमें गणित और विज्ञान के सिद्धांतों को तो सिखाते हैं, लेकिन निवेश करने की मूल बातें नहीं सिखाते। वित्तीय साक्षरता (financial literacy) की यह कमी शायद इसलिए है कि बचत का अच्छा कल्चर होने के बावजूद, केवल 5-6% भारतीय ही इक्विटी में निवेश करते हैं। वे अपने पैसे को बचत खातों में रखना पसंद करते हैं और उन्हें भरोसा होता है कि इसमें पैसा सुरक्षित होगा। उन्हें इस बात का एहसास नहीं होता है कि चूंकि इन खातों से मिलने वाला रिटर्न मुद्रास्फीति की दर से कम है और ऐसे में समय के साथ उनके पैसे का कोई अपना मूल्य नहीं रह जाता है। 

इसके अलावा, वित्तीय साक्षरता में सुधार लाने में टेक्नॉलजी एक बड़ी भूमिका निभा रही है। फिनटेक कंपनियां और वित्तीय संस्थान लोगों को सूचित (सही) निवेश निर्णय लेने के लिए शिक्षित और सशक्त बनाने के लिए यूजर्स को पसंद आने वाली इंटरफेस, सूचनापरक सामग्री और इन्वेस्टमेंट टूल्स का लाभ उठा रहे हैं।  

इसके बाद निवेशकों को उपलब्ध कई विकल्पों से उनका अभिभूत हो जाना स्वाभाविक है। निवेश करने के लिए कोई सही एसेट क्लास कैसे चुने? आप कैसे जानते हैं कि आपके लिए क्या सही है? मैंने पाया है कि निम्नलिखित ‘निवेश के सत्य’ निवेशकों के लिए उनकी पैसा कमाने की यात्रा में एक आसान मार्गदर्शक के रूप में काम करते हैं। यहां आपको बता रहे हैं कि आप लंबी अवधि के धन का निर्माण कैसे कर सकते हैं ? 

छोटी राशि के साथ भी निवेश करना शुरू करें, लेकिन लंबी अवधि के लिए निवेश में बने रहें: छोटी राशि के साथ भी निवेश करना और लंबी अवधि के लिए निवेशित रहना धन कमाने की अच्छी रणनीति होती है। उदाहरण के लिए, यदि आपने एसआईपी (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) में प्रति माह 5,000 रुपये का भी निवेश किया है, जिसने आपको 25 वर्षों में औसतन 13% का वार्षिक रिटर्न दिया है, तो आप 1 करोड़ रुपये से अधिक का फंड बना सकते थे। यह और कुछ नहीं बल्कि कंपाउंडिंग की ताकत है। 

बिल्कुल भी निवेश नहीं करना, रिस्क भरा है: पैसा निवेश नहीं करना, पैसा बर्बाद करने जैसा है। महंगाई का मतलब केवल कीमतों में बढ़ोतरी नहीं है। इसका मतलब पैसे के मूल्य में गिरावट भी है। इसे आप इस तरह से समझें कि यदि आपने निवेश नहीं किया तो आज 1 लाख रुपये का सामान 25 वर्षों के बाद में 22,000 रुपये (यदि वार्षिक मुद्रास्फीति को 6% पर लिया जाए) का ही सामान खरीदें पाएगे। महंगाई को मात देने के लिए ऐसे एसेट में निवेश करें जो महंगाई दर से ज्यादा तेजी से बढ़ता हो। उदाहरण के लिए, मुद्रास्फीति की 6% वृद्धि की तुलना में इक्विटी सालाना औसतन 13% की दर से बढ़ी है। 

सूचकांकों को ट्रैक करना शुरू करें: शॉर्ट टर्म बाजार में उतार-चढ़ाव हो तो इग्नोर करना सीखें। इसके बजाय, लॉन्ग-टर्म लाभ के लिए बुनियादी बातों पर ध्यान केंद्रित करें। निफ्टी-50 में निवेश करें जो इंडेक्स फंड के माध्यम से भारत की टॉप 50 कंपनियों के पोर्टफोलियो का प्रतिनिधित्व करता है। इंडेक्स फंड पैसिव फंड होते हैं जो एक पोर्टफोलियो बनाते हैं जो इंडेक्स की एक कॉपी होती है और बाजार के समान रिटर्न देती है। इस प्रकार, ये कई कंपनियों और सेक्टर्स में विविधीकरण (diversification) के साथ कम लागत वाले निवेश के विकल्प प्रदान करते हैं। यह निवेशकों को ओवरऑल मार्केट के परफॉरमेंस से लाभ उठाने की सहूलियत देता है और व्यक्तिगत स्टॉक चयन से जुड़े रिस्क को कम करता है। 

रिस्क और रिटर्न को देखें: निवेशक आम तौर पर केवल अपने वार्षिक रिटर्न के आधार पर फंड चुनते हैं, लेकिन रिस्क को देखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। फंड रिस्क का प्रबंधन कैसे करता है? क्या यह आपको हर साल लगातार रिटर्न देता है या इसमें उतार-चढ़ाव होता है? आदर्श रूप से आप ऐसा फंड चुनना चाहते हैं जो आपको कम रिस्क पर अधिकतम रिटर्न दे।  

इक्विटी में निवेश करें और टैक्स बचाएं: ईएलएसएस या इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम म्यूचुअल फंड की एक कटेगरी है जो आपको एक साथ बाजार से जुड़ा रिटर्न अर्जित करने और टैक्स बचाने की सुविधा देती है। यह उन निवेशकों के लिए उपलब्ध है जो पुरानी कर व्यवस्था का विकल्प चुनते हैं. इससे वे ईएलएसएस निवेश के माध्यम से धारा 80 सी के तहत करों में 46,800 रुपये तक बचा सकते हैं। सबसे अच्छी बात कि इसमें केवल तीन साल की लॉक-इन अवधि है जो टैक्स बचाने वाले इन्स्ट्रूमेंट्स में सबसे कम है। 

विविधीकरण: रिस्क मैनेजमेंट के लिए किसी निवेश पोर्टफोलियो के लिए विविधीकरण महत्वपूर्ण है। अलग-अलग एसेट क्लास की अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग प्रदर्शन करते हैं। इसलिए, यह हमेशा सलाह दी जाती है कि किसी एक स्टॉक, ट्रेड या एसेट क्लास में निवेश को केंद्रित न करें। अपने पैसे का एक हिस्सा डेट एसेट्स जैसे फिक्स्ड इनकम फंड्स और सरकार द्वारा जारी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स में निवेश करें। यह आपके पोर्टफोलियो को बाजार की अस्थिरता से सुरक्षित रखेगा। 

रेगुलर प्लान्स की तुलना में डायरेक्ट म्यूचुअल फंड चुनें: अतिरिक्त पैसा खर्च क्यों करें? डायरेक्ट म्यूचुअल फंड प्लान खरीदना कंपनी से सामान खरीदने जैसा है। आपको एजेंट को भुगतान नहीं करना होता है और आपका एक्सपेंस रेश्यो कम होता है। रेगुलर प्लान्स में अधिक शुल्क और कमीशन हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप निवेशकों को कम शुद्ध रिटर्न मिलता है। इसलिए, डायरेक्ट प्लान चुनने से लंबी अवधि में कम लागत और हाई ओवरऑल रिटर्न मिल सकता है। म्युचुअल फंड निवेश के लिए खर्चों और फीस का सावधानी से मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है, और हाई नेट रिटर्न के लिए डायरेक्ट प्लान एक कम लागत वाला विकल्प हो सकता है।  

निवेश न करना रिस्क भरा है इसलिए सलाह दी जाती है कि अभी से निवेश करना शुरू करें और लंबी अवधि के धन का निर्माण करने के लिए निवेशित रहें। भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगले 25 वर्षों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था से आगे निकलने का अनुमान है। यह निवेश करने के लिए एक मजबूत लॉन्ग-टर्म और ओरिजनल स्टोरी है। इसलिए, एक लॉन्ग-टर्म अप्रोच लें और अपने निवेश क लक्ष्यों को भारत ग्रोथ स्टोरी के साथ लेकर आगे बढ़ें। ये ‘निवेश के सत्य’ आपको पैसा बनाने की अपनी यात्रा शुरू करने में मदद करेंगे। 

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