लोक सेवा दिवस- इस अधिकारी की 31 साल की सेवा में 55 तबादले हुए
मुंबई- कल लोक सेवा दिवस था। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र निर्माण में लोक सेवकों की खूब तारीफ की। साथ ही यह भी अपील की है कि वे अपनी भूमिका को विस्तार दें। ऐसा नहीं हुआ तो देश का धन लुट जाएगा। टैक्सपेयर्स के पैसे बर्बाद हो जाएंगे। युवाओं के सपने चकनाचूर होंगे। लोक सेवकों का काम कभी आसान नहीं रहा है। खासतौर से जिन्होंने लीक से हटकर बदलाव की पैरवी की। इस ओर कदम बढ़ाया।
जब ऐसे अधिकारियों का जिक्र होता है तो अशोक खेमका का नाम अपने आप जुबान पर आ जाता है। अपने ट्रांसफरों के कारण वह सुर्खियों में रहे। उनकी गिनती बेहद ईमानदार आईएएस अधिकारियों में होती है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ड वाड्रा की लैंड डील की जांच से वह चर्चा में आए थे। अभी वह पुरातत्व विभाग हरियाणा सरकार और नूंह जिले के प्रशासनिक सचिव हैं। 31 साल में उनके करीब 55 ट्रांसफर हो चुके हैं।
अशोक खेमका 1991 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। सिविल सर्विस में आने से पहले उन्होंने कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में आईआईटी खड़गपुर में टॉप किया था। अशोक खेमका का जन्म कोलकाता में हुआ था। वह एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से थे। उनके पिता एक जूट कारखाने में क्लर्क थे।
उन्होंने 1988 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर से कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उसके बाद टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की। फिर उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और फाइनेंस में एमबीए किया। इसके बाद उन्होंने आईएएस की परीक्षा दी। हरियाणा कैडर में चयनित हुए। उन्होंने इग्नू से अर्थशास्त्र में एमए की डिग्री भी ली है।
खेमका हरियाणा कैडर के 1991 बैच के IAS अधिकारी हैं। जिन विभागों में वह तैनात हुए उनमें भ्रष्टाचार का खुलासा किया। इसके चलते उन्हें हरियाणा के अपने गृह कैडर में बार-बार ट्रांसफर किया गया। 2012 में अशोक खेमका ने रॉबर्ट वाड्रा और रियल एस्टेट दिग्गज डीएलएफ के बीच हुए जमीन सौदे का म्यूटेशन रद्द करने का आदेश दिया था। तब केंद्र में कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार थी। हरियाणा में भी कांग्रेस की सरकार थी। अशोक खेमका की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में हर किसी ने उनकी सराहना की थी।
खेमका के तबादलों का दौर बंसीलाल के नेतृत्व वाली सरकार से शुरू हुआ था। आईएनएलडी सरकार में खेमका का 5 वर्ष में 9 बार ट्रांसफर हुआ। उनका टकराव तकरीबन हर राजनीतिक दल की सरकार से हुआ। इसका खामियाजा खेमका को बार-बार ट्रांसफर के रूप में झेलना पड़ा। एक बार तो सरकारी गाड़ी तक छीन ली गई थी। खेमका पैदल ही घर से ऑफिस आते-जाते रहे। वह अपने खिलाफ चार्जशीट का भी सामना कर चुके हैं। अपने 31 साल के करियर में खेमका ने करीब 55 बार ट्रांसफर का सामना किया है।
अशोक खेमका की जीवनी ‘जस्ट ट्रांसफर्ड द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अशोक खेमका’ का 2020 में विमोचन हुआ था। तब काफी हंगामा हुआ था। यह पहला मौका था जब हरियाणा कैडर के किसी अधिकारी के सर्विस पीरियड पर ही कोई किताब आई थी।
प्रधानमंत्री मोदी 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य रख चुके हैं। यह टारगेट पाने के लिए भारत को भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा। उसे खेमका जैसे और बहुत से अधिकारियों की जरूरत होगी। बेशक, ईमानदारी की राह में मुश्किलें आ सकती हैं। लेकिन, इसके साथ बना रास्ता रोका नहीं जा सकता है।