अब घर खरीदारों को नहीं होगी दिक्कत, सरकार का नया कानून, जानिए क्या है 

मुंबई- अगर आपने घर खरीदा है या फिर फ्लैट की बुकिंग करवाई है तो आपके लिए अच्छी खबर है। सरकार ने घर खरीदने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए और बायर्स की मुश्किलों को कम करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने बिल्डर्स और बायर्स के बीच विवादों के निपटारे के लिए एक मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट बनाने के लिए एक कमेटी बनाने का फैसला किया है।  

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार ने इस बारे में कहा कि इससे घर खरीदारों और बिल्डर के बीच का विवाद कम करने में मदद मिलेगी। वहीं घर खरीदारों की मुश्किलें कम होगी। बिल्डर से जुड़ी शिकायतों का निपटारा तेजी से हो सकेगा। उन्होंने कहा कि ग्राहकों और बिल्डरों के बीच विवादों और शिकायतों की बढ़ती संख्या को देखते हुए हमने एक कमेटी बनाने और खरीदार और बिल्डर के बीच एक आदर्श समझौते का दस्तावेज बनाने का फैसला किया है। 

ऐसे मामले अक्सर सामने आते हैं जहां बिल्डर-खरीदार के बीच विवाद शुरू हो जाता है। सरकार ने ऐसी मुश्किलों से बचने के लिए एक मॉडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट बनाने के लिए कमेटी गठित की है। इस कमेटी में जज, राष्ट्रीय और राज्य उपभोक्ता आयोग के सदस्य, वकील और अलग-अलग उपभोक्ता निकायों के सदस्य शामिल होंगे। तीन महीने में कमेटी गठिन का काम पूरा हो जाएगा।  

ये कमेटी एक समझौते का एक मॉडल तैयार करेगी, जो बिल्डर और ग्राहकों के बीच के विवाद को जल्दी निपटाएंगे। ये मॉडल पूरे देश में लागू होगा। कमेटी द्वारा बनाई गए समझौता दस्तावेज को अलग-अलग राज्यों के परमिशन ली जाएगी। इसके बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाएगा। 

जब आप कोई घर या फ्लैट खरीदते हैं तो आप बिल्डर के साथ बिल्डर बायर एग्रीमेंट साइन करते हैं। ये घर खरीदार और बिल्डर के बीच एक कांट्रैक्ट होता है। इस एग्रीमेंट में बिल्डर और खरीदार के बीच लेनदेन के सभी नियम और शर्तें शामिल होती है। इस एग्रीमेंट में फ्लैट या घर से जुड़ी सभी शर्तें होती है। जैसे घर का साइज क्या होगा, क्या सुविधाएं होगी, पार्क कहां होगा, फ्लोर एरिया कितना होगा, घर में बिजली-पानी का कनेक्शन, घर की कीमत जैसे सभी शर्तें इसमें होती हैं। 

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट पहले भी कह चुका है कि वो बिल्डरों को इस बात की इजाजत नहीं होगी कि वो घर खरीदारों को लूटें। प्रॉपर्टी से जुड़े पेडिंग विवादों की संख्या बढ़ती जा रही है। हाउसिंग सेक्टर से जुड़े करीब 5.50 लाख शिकायतों में से 45 फीसदी शिकायतें लेट पजेशन को लेकर है। वहीं 12 फीसदी सेल डीड से और 12 फीसदी रिफंड से जुड़ा है।  

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