अब आबादी में दुनिया में भारत नंबर वन, 142 करोड़ से ज्यादा हो गए हम 

मुंबई- भारत आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ने ही वाला है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की नई रिपोर्ट के मुताबिक 2023 के मध्य तक भारत 142.9 करोड़ लोगों के साथ दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। चीन की आबादी 142.6 करोड़ होगी। स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट में कहा गया है कि सांख्यिकी के लिहाज से चीन की कुल आबादी के आंकड़ों में हॉन्गकॉन्ग, मकाउ और चीन के ताइवान प्रांत को शामिल नहीं किया गया है। 

हालांकि चीन ज्यादातर सामाजिक-आर्थिक पैमानों पर भारत से आगे है। भारत में महिलाओं की औसत उम्र 74 वर्ष है जबकि चीन में यह 82 वर्ष है। इसी तरह 2023 में चीन में प्रति व्यक्ति आय भारत से पांच गुनी होने का अनुमान है। 

मगर युवा आबादी के मामले में भारत की ​स्थिति चीन से अच्छी है। यूएनएफपीए इंडिया की प्रतिनिधि एंड्रिया वोज्नार  ने कहा कि देश की करीब 50 फीसदी आबादी 25 साल से कम उम्र की है, जिससे भारत के पास इसका लाभ उठाने का अवसर है। उन्होंने कहा, ‘ देश की 25.4 करोड़ आबादी युवा 15 से 24 वर्ष के आयु वर्ग में है। यह नवाचार, नई सोच और स्थायी समाधान का स्रोत हो सकती है।’ 

वोज्नार ने कहा कि सतत भविष्य के लिए महिला-पुरुष समानता, सशक्तीकरण और महिलाओं तथा लड़कियों के लिए अपने शरीर पर उनका अधिकार सुनिश्चित करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, ​शिक्षा और युवाओं के लिए रोजगार में समान अवसर पर निवेश कर भारत इसका आर्थिक लाभ उठा सकता है। 

वोज्नार ने कहा, ‘नीतिगत पहल में जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण, प्रवास और उम्र बढ़ने जैसे रुझानों के प्रभाव को शामिल करके आबादी के फायदे उठाने में भारत को और बढ़त दिलाई जा सकती है।’ आबादी के मामले में भारत से पीछे रहने की खबर को चीन ने तवज्जो नहीं दी और कहा कि उसके पास अब भी 90 करोड़ से अधिक लोगों का गुणवत्ता वाला मानव संसाधन है, जो विकास में मजबूत योगदान दे र​हे हैं। 

रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, ‘जब देश के जनसंख्या लाभांश का आकलन किया जाता है तो हमें केवल उसके आकार को नहीं देखना चाहिए बल्कि इसकी आबादी की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि संख्या का महत्त्व है लेकिन सबसे ज्यादा महत्त्व प्रतिभाशाली संसाधन का होता है। चीन की 1.4 अरब आबादी में से करीब 90 करोड़ कामकाजी उम्र के हैं और उन्होंने औसतन 10.9 साल तक ​शिक्षा प्राप्त की है।  

ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ के सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज के विजिटिंग प्रोफेसर संतोष मेहरोत्रा ने कहा कि चीन का जनसांख्यिकी लाभांश अब खत्म हो गया है लेकिन उसने इसका भरपूर लाभ उठाया है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन हम लगातार ऐसा करने में सक्षम नहीं है। हमने न केवल आर्थिक नीति की गलतियां की हैं बल्कि सामाजिक नीति में भी गलतियां की हैं और स्वास्थ्य तथा ​शिक्षा को हमेशा की तरह उपेक्षित रखा है। 

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