सीबीआई और सीआईडी से ज्यादा खुफिया नजर होती है एपल के मुख्यालय में 

मुंबई- कैलिफोर्निया स्थित ऐपल का मुख्यालय यानी ऐपल पार्क को अगर आप ऊपर से देखेंगे तो यह किसी फुटबॉल के स्टेडियम की तरह लगेगा। ऐपल का यह हेडक्वार्टर किसी खुफिया एजेंसी से कम नहीं है। आप इसके बारे में जानकर हैरान हो जाएंगे।  

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, करीब 175 एकड़ में फैली ऐपल की इमारत एयरटाइट है। इस इमारत में कई ऐसे कमरे हैं जो बिलकुल खुफिया हैं। इन कमरों में कोई खिड़की नहीं है। इन्हें लॉकडाउन रूम कहा जाता है। इस इमारत में कई कमरों पर काले शीशे लगे हुए हें। इन कमरों को ऐसा बनाया गया है, जिससे यहां से कोई जानकारी बाहर न जाने पाए। 

ऐपल की इस ऐयरटाइट बिल्डिंग में कई ऐरिया ऐसे हैं जहां जाना बिलकुल मना है। इमारत के हर कोने यहां तक की कूड़ेदान तक पर बारीक नजर रखी जाती है। जब भी किसी नए कर्मचारी को भर्ती किया जाता है तो उसका रोल उसे क्लियर नहीं किया जाता है। कई राउंड के इंटरव्यू के बाद कर्मचारी को ज्वाइनिंग दी जाती है। 

ऐपल के पूर्व कर्मचारियों के मुताबिक, कंपनी के हर प्रोडक्ट के लिए एक कोड नेम है। स्पेशल टीम में काम करने वाले कर्मचारी किसी को नहीं बताते हैं कि वह क्या काम कर रहे हैं। ऐपल में काम करने वाले ज्यादातर कर्मचारी काफी फिट दिखते हैं। 

ऐपल में काम करने वाले कर्मचारियों को शानदार सैलरी मिलती है। कंपनी कर्मचारियों को कई तरह की सुख-सुविधाएं देती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐपल में सीनियर डायरेक्टर लेवल पर करीबन 1.5 करोड़ रुपये सैलरी मिलती है। इसके अलावा बोनस भी मिलता है। कंपनी की कोशिश रहती है कि कर्मचारी दूसरी कंपनी में न जाए। इसके लिए कर्मचारियों को बेहद अच्छी सैलरी दी जाए। 

ऐपल कंपनी की शुरुआत एक गराज से हुई थी। 1 अप्रैल 1976 को स्टीव जॉब्स ने अपने फ्रैंड वॉजनियाक के साथ मिलकर गराज से ऐपल कंपनी शुरू की थी। साल 1985 में स्टीव जॉब्स का कंपनी के चीफ एक्जीक्यूटिव जॉन स्कली से विवाद हो गया था। इसके चलते उन्हें ऐपल से निकाल दिया गया था। स्टीव की कंपनी में साल 1997 में फिर से वापसी हुई थी। वहीं टिम कुक अगस्त 2011 में कंपनी के सीईओ बने थे। इससे पहले वह चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर थे। 

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