भारतीय दूध को वैश्विक बाजार में हिस्सा पाने के लिए बनना होगा निर्यात प्रतिस्पर्धी 

मुंबई- भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन चुका है। अगर उसे अपने सरप्लस (ज्यादा) दूध के लिए वैश्विक बाजार में हिस्सा हासिल करना है, तो निर्यात प्रतिस्पर्धी बनना होगा। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने वर्किंग पेपर में कहा कि भारत का डेयरी उद्योग किसी भी ऐसे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) का विरोध करता रहा है, जिसमें डेयरी उत्पादों में कारोबार का आयात शामिल हो। 

चंद के अनुसार, एक देश यदि आयात के साथ प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ है तो वह निर्यात प्रतिस्पर्धी नहीं हो सकता है। निर्यात प्रतिस्पर्धी होने के लिए आयात की तुलना में अधिक ऊंची प्रतिस्पर्धा की जरूरत होती है। यह मुद्दा भारत में डेयरी उद्योग के भविष्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। डेयरी उद्योग को अपने कुछ घरेलू उत्पादन को विदेशी बाजारों में भेजने का रास्ता निकालना होगा। साथ ही सुझाव दिया कि सिर्फ लिक्विड दूध को भेजने के बजाय हमें अलग-अलग उत्पादों का प्रोसेसिंग कर निर्यात करना चाहिए। 

चंद ने कहा, डेयरी उद्योग के निवेश में कुछ बदलाव की जरूरत होगी। अगर भारत दूध की गुणवत्ता और पशुधन स्वास्थ्य के मुद्दे को हल कर पाता है, तो वह कुछ बड़े बाजारों में अपनी पैठ बना सकता है। अगले 25 साल के लिए डेयरी उद्योग का लक्ष्य और दृष्टिकोण भारत को डेयरी उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यातक बनाने का होना चाहिए। 

रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में विश्व का डेयरी निर्यात 63 अरब डॉलर था। वहीं भारत का निर्यात सिर्फ 39.2 करोड़ डॉलर था। आंकड़ों से पता चलता है कि सालाना आधार पर दूध उत्पादन 5.3% की दर से बढ़ रहा है। 2005 के बाद से दूध उत्पादन की वृद्धि दर इसलिए ऊंची रही है, क्योंकि विदेशी नस्लों के बजाय स्वदेशी नस्लों पर जोर दिया जाने लगा। 

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