भारतीय खिलौनों को खरीदेंगी वैश्विक कंपनियां, चीन से आयात में आई कमी
मुंबई- अमेरिका और यूरोप की खिलौना बनाने वाली कंपनियां भारतीय खिलौना विनिर्माताओं से माल खरीदने के लिए संपर्क कर रही हैं। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि इन कंपनियों ने अनुपालन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय कंपनियों की मदद करने का भरोसा भी दिया है। ये खुदरा फर्म भारत से बड़े पैमाने पर खिलौने खरीदना चाह रही हैं।
टॉय एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनु गुप्ता ने कहा कि इटली की एक फर्म सहित अब तक 82 भारतीय कंपनियों ने खिलौनों के सोर्सिंग में दिलचस्पी दिखाई है। यह क्षेत्र वैश्विक बाजारों में मांग में कमी और भारतीय ब्रांड को बढ़ावा देने से संबंधित कुछ मुद्दों का सामना कर रहा है। ब्रांड को बढ़ावा देने में सरकार हमारी मदद कर सकती है क्योंकि खुद को स्थापित करने में काफी लंबा समय लग सकता है।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) घरेलू खिलौनों को बढ़ावा देने को अनुपालन प्रावधानों को पूरा करने के लिए भारतीय विनिर्माताओं की मदद भी कर रहा है। गुप्ता ने कहा, अमेरिका के एक रिटेलर ने राइड-ऑन तथा आउटडोर खिलौने और मैकेनिकल तथा इलेक्ट्रिकल सहित तीन मुख्य श्रेणियों में खिलौने खरीदने के लिए भारतीय कंपनियों से संपर्क किया है। इसका मूल्य करीब 40 करोड़ डॉलर होगा।
डीपीआईआईटी और वित्त मंत्रालय की गुणवत्ता नियंत्रण आदेश और खिलौनों पर आयात शुल्क बढ़ाने जैसी पहल से इस क्षेत्र को पहले ही चीन जैसे देशों से घटिया खिलौनों के आयात में कमी लाने और दुनिया में निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिली है।
डीपीआईआईटी अधिकारी उद्योग जगत को इन वैश्विक कंपनियों से जुड़ने और ऑर्डर हासिल करने में मदद कर रहे हैं। ये कंपनियां उनसे सामान खरीदती हैं, जो उनके उत्पाद और सामाजिक अनुपालन को पूरा करती हैं। देश का खिलौना निर्यात अप्रैल-दिसंबर 2022-23 के दौरान 1,017 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इससे पहले 2021-22 में निर्यात 2,601 करोड़ रुपये था। 2021-22 में खिलौनों का आयात 70 फीसदी घटकर 870 करोड़ रुपये रह गया था।
फरवरी, 2020 में सरकार ने खिलौनों के आयात को हतोत्साहित करने के लिए आयात शुल्क 20 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी कर दिया था। इस साल इसे 70 फीसदी कर दिया गया है। सरकार भारतीय खिलौना कंपनियों के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) भी लाने की योजना बना रही है।