केंद्र ने राज्यों से कहा -अरहर दाल का स्टॉक जमा करने वालों पर हो कड़ी कार्रवाई  

मुंबई- केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि उन कारोबारियों, मिलों, आयातकों और भंडार जमा करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करें, जिन्होंने अरहर दाल के भंडारण के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी है। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि कुछ राज्यों में उत्पादन की तुलना में खपत में कमी देखी गई है। 

अरहर और उड़द दाल के भंडार की समीक्षा की बुधवार को बैठक हुई। इसमें रोहित कुमार सिंह के अलावा दालों का ज्यादा उत्पादन और खपत करने वाले राज्यों उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों के प्रतिनिधि शामिल थे। उन्होंने एक बयान में कहा कि हालांकि स्टॉक डिस्क्लोजर पोर्टल में पंजीकृत संस्थाओं की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन यह देखा गया है कि कुछ राज्यों में इनकी वास्तविक संख्या अधिक हो सकती है। 

साथ ही राज्य सरकारों को एफएसएसएआई लाइसेंस, एपीएमसी पंजीकरण, जीएसटी पंजीकरण, गोदामों और कस्टम गोदामों से संबंधित आंकड़ों को देखने के लिए कहा गया है। जमीनी स्तर पर स्थिति का आकलन करने के लिए उपभोक्ता मामलों के विभाग ने 12 वरिष्ठ अधिकारियों को विभिन्न राज्यों की राजधानियों और प्रमुख अरहर उत्पादक और व्यापारिक केंद्रों के जिलों में प्रतिनियुक्त किया है। 

बयान में कहा गया है कि राज्यों को विभिन्न संस्थाओं द्वारा रखे गए भंडार का सत्यापन करने और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की संबंधित धाराओं और आपूर्ति की कालाबाजारी व रखरखाव की रोकथाम के तहत अघोषित भंडार पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। राज्य सरकार के अधिकारियों ने बताया कि वे निगरानी तेज कर रहे हैं। 

31 मार्च को केंद्र ने रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) और प्रमुख संगठित खुदरा विक्रेताओं के साथ एक बैठक में खुदरा विक्रेताओं को दालों, विशेष रूप से अरहर दाल पर अपने लाभ मार्जिन को अनुचित स्तर पर नहीं रखने का निर्देश दिया था। कृषि मंत्रालय के दूसरे अनुमान के अनुसार पिछले वर्ष के 4.2 करोड़ टन की तुलना में फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में देश का अरहर उत्पादन कम होकर 3.66 करोड़ टन रहने का अनुमान है। इससे कीमतों में इजाफा होने की उम्मीद है। 

उधर, ऑल इंडिया सुगर ट्रेड एसोसिएशन (एआईएसटीए) ने सरकार से मांग की है कि चीनी पर न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) बढ़ाया जाए। इसने कहा है कि देश में चीनी अभी भी उत्पादन के लागत से कम भाव पर बेची जा रही है, जिससे किसानों को घाटा हो रहा है। 

बुधवार को एआईएसटीए ने खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा को लिखे पत्र में कहा कि चीनी की कीमत 2019 से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि हर साल गन्ने की कीमतों में इजाफा हो रहा है। ऐसे में इस समय कम से कम 3,400 से 3,600 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर चीनी बेचने की मंजूरी देनी चाहिए। 

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