पहली बार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड मोनेटाइजेशन में निवेश 50,000 करोड़ के पार 

मुंबई- भौतिक सोने की खरीदी को हतोत्साहित करने के लिए शुरू की गई सरकार की सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड मोनटाइजेशन योजना को अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। पहली बार ऐसा हुआ है जब इन दोनों योजनाओं के जरिये 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाया गया है। नवंबर, 2015 में गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड मोनेटाइजेशन योजना की शुरुआत की गई थी। 

वर्तमान में सोने का खुदरा भाव के आधार पर देखें तो, जो रकम सरकार ने जुटाई है, वह 85 टन सोने के बराबर है। 2022 में सोने की मांग की तुलना में यह 11 फीसदी है। आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर, 2022 तक कुल 50,216 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं। दिसंबर, 2021 तक यह रकम 42,507 करोड़ रुपये थी। 

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के जरिये उन लोगों को आकर्षित किया जाता है जो भौतिक सोने में निवेश करना चाहते हैं। जबकि गोल्ड मोनेटाइजेशन के जरिये घरों, मंदिरों और अन्य जगहों पर पड़े सोने को जमा करने पर फोकस किया जाता है। 

इन दोनों योजनाओं का उद्देश्य सोने के आयात पर अंकुश लगाना था, जो कच्चे तेल के साथ-साथ भारत के चालू खाता घाटे में सबसे ज्यादा योगदान देनेवालों में है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड इस समय लोकप्रिय हो रहा है। जबकि मोनेटाइजेशन योजना हाल के दिनों में सुधार के बावजूद अभी भी लोगों को आकर्षित नहीं कर पाई है। 

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