कर्नाटक में अमूल दूध का बहिष्कार, दुकानदारों ने सड़कों पर फेंकना शुरू किया
मुंबई- दूध और दूध से बने उत्पादों के क्षेत्र में क्रांति में अमूल के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। अमूल की अगुवाई में ही हर राज्य में मिल्क कोओपरेटिव यूनियन की स्थापना हुई। लेकिन अब अमूल का नाम भी राजनीतिक बयानबाजी में आने लगा है। तभी तो पिछले कुछ दिनों से कर्नाटक में अमूल को केंद्र में रख कर खूब बयानबाजी हो रही है। आज भी राज्य के कुछ हिस्सों में प्रदर्शनकारियों ने अमूल के प्रोडक्ट्स को सड़कों पर फेंक कर प्रदर्शन किया।
कर्नाटक रक्षण वेदिके के सदस्यों ने सोमवार को राज्य में प्रदर्शन किया। वे अमूल द्वारा दूध की सीधी बिक्री के विरोध में कंपनी के उत्पादों को सड़कों पर फेंककर प्रदर्शन किया। वेदिके ने राज्य में अमूल उत्पादों की सीधी बिक्री के खिलाफ चेतावनी भी दी है। वेदिके कार्यकर्ताओं का कहना है कि कर्नाटक में अमूल ब्रांड के दूध और दही की बिक्री और कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) को अमूल में मिलाने की साजिश है। संगठन ने इस बात की निंदा की है। वेदिके के अध्यक्ष टी.ए. नारायण गौड़ा और उपाध्यक्ष डी.पी. अंजनप्पा ने कहा कि अमूल कन्नड़ लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहा है।
इस विरोध की बीज पिछले सप्ताह ही पड़ी है। उस सप्ताह, 5 अप्रैल को सहकारी कंपनी अमूल ने एक ट्वीट किया। उस ट्वीट में कंपनी ने लिखा कि वह बेंगलुरु में दूध और दही के साथ साथ कुछ मिल्क प्रोडक्ट्स की सप्लाई करेगा। इसके बाद कांग्रेस ने बीजेपी ने आरोप लगाया कि वह कर्नाटक का मिल्क ब्रांड नंदिनी को खत्म करना चाहती है। यह कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के ब्रांड नंदिनी को खत्म करने की साजिश है। एक खबर तो यह भी आई है कि गुजरात के ब्रांड अमूल को सरकार ने बेंगलुरु के पास जमीन का एक प्लॉट अलॉट किया है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता तथा कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित कर एक ट्वीट किया है। इस ट्वीट में कहा गया है कि कर्नाटक में कौन आ रहा है? उसके आने का उद्देश्य क्या राज्य को लूटना है। वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने आज ही हासन स्थित नंदिनी मिल्क पार्लर का दौरा किया। इस बीच, बेंगलुरु के होटल एसोसिएशन ने नंदिनी के दुग्ध उत्पादों को ही इस्तेमाल करते रहने का एलान किया है।
कर्नाटक के विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि जब राज्य के पास अपना दूध ब्रांड है तो उसे गुजरात के मिल्क प्रोडक्ट की क्या जरूरत है? विपक्ष ने इस मसले को आम लोगों तक ले जाने का फैसला किया है। और, इसके बाद राज्य भर में इसका विरोध शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर बायकॉट अमूल, गो बैक अमूल जैसे हैशटैग भी ट्रेंड करने लगे।