छह माह में 760 कंपनियों से 5.38 लाख लोगों की गई नौकरी, टेक शीर्ष पर  

नई दिल्ली। पिछले छह महीने में पूरी दुनिया में 5.38 लाख लोगों की नौकरी चली गई है। इसमें सबसे ज्यादा टेक क्षेत्र से छंटनी हुई है जो कुल छंटनी का करीब एक तिहाई हिस्सा है। हालांकि, नौकरियों पर सभी क्षेत्र में असर हुआ है। इसमें कम्युनिकेशन, वित्तीय क्षेत्र, हेल्थकेयर, रियल एस्टेट और ऊर्जा क्षेत्र शामिल हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार, यूबीएस की योजना 36,000 कर्मचारियों की छंटनी करने की है जो पिछले छह महीने में वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी छंटनी होगी। वित्तीय क्षेत्र में कुल नौकरियों में यह करीब 29 फीसदी है। यूबीएस ने संकट में फंसे क्रेडिट सुइस का पिछले माह अधिग्रहण किया था। आंकड़ों के मुताबिक, कुल 760 कंपनियों ने 5.38 लाख कर्मचारियों की छंटनी की है। इसमें से आधे की छंटनी तो केवल 24 कंपनियों ने ही की है। सबसे कम असर ऊर्जा कंपनियों के कर्मचारियों पर पड़ा है, जहां केवल 4,000 नौकरियां गई हैं।

गौरतलब है कि महंगाई को रोकने के लिए केंद्रीय बैंकों की ओर से लगातार ब्याज दरें बढ़ाए जाने का सीधा असर दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ा है। इससे कंपनियों ने लागत घटाने और मुनाफा को स्थिर रखने के लिए कर्मचारियों की छंटनी का रास्ता अपनाया। खासकर टेक कंपनियों ने भारी-भरकम छंटनी की शुरुआत की और यह अभी भी जारी है। इस साल के बारे में अनुमान है कि आगे और ज्यादा छंटनी कंपनियां कर सकती हैं। इसमें काफी सारी नौकरियां भारत में भी गई हैं। 

फेडेक्स ने इस दौरान कुल 12,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है। यह लॉजिस्टिक क्षेत्र में कुल छंटनी का चार फीसदी हिस्सा है। माइक्रोसॉफ्ट ने 11,120 कर्मचारियों की छुट्टी की। यह टेक क्षेत्र में कुल छंटनी का पांच फीसदी है। आइकिया ने रिटेल में कुल छंटनी का छह फीसदी यानी 10,000 लोगों को बाहर निकाला जबकि स्वास्थ्य में फिलिप्स ने 13 फीसदी यानी 10 हजार लोगों की छंटनी की है। फीसदी के लिहाज से यूबीएस-क्रेडिट सुइस सबसे् आगे है। वित्तीय क्षेत्र में कुल छंटनी का 29 फीसदी हिस्सा इनका ही है। जिन कंपनियों ने सबसे ज्यादा छंटनी की उनमें अमेजन ने 27,101, मेटा ने 21,000, एसेंचर ने 19,000 और अल्फाबेट ने 19,000 लोगों को नौकरी से निकाला है।  

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