रेपो दर की वृद्धि रुकी, अब न लोन महंगे होंगे न जमा पर ज्यादा ब्याज मिलेगा
मुंबई- आखिरकार आरबीआई ने 6 बार तक लगातार दरों में वृद्धि के बाद इसे रोकने का फैसला किया है। इससे न तो आपके लोन महंगे होंगे और न ही जमा पर ज्यादा ब्याज मिलेगा। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने इस बार रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है। लगातार छह बार रेपो रेट बढ़ाने के बाद आरबीआई ने नए वित्तीय की पहली एमपीसी बैठक में इसे स्थिर रखा है।
माना जा रहा था कि आरबीआई रेपो दर में फिर 0.25 फीसदी की वृद्धि कर सकता है। हालांकि केंद्रीय बैंक ने ऐसा नहीं किया है। एमपीसी बैठक की जानकारी देने और इस दौरान लिए गए फैसलों के बारे में बोलते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने ये बातें कही।
फरवरी में हुई एमपीसी बैठक में रेपो दर को 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.50 फीसदी किया गया था। उस समय आरबीआई ने कहा था कि खुदरा महंगाई को काबू में रखने और उच्च विकास दर को बनाए रखने के लिए प्रमुख नीतिगत दर में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।
आरबीआई गवर्नर ने गुरुवार की सुबह अपने बयान में कहा कि एमपीसी के सभी सदस्य रेपो रेट में बदलाव नहीं करने के पक्ष में थे। उन्होंने कहा कि भारत में बैंकिंग सेक्टर की स्थिति काफी मजबूत है। वित्तवर्ष 2023 में देश में अनाज उत्पादन में 6% की वृद्धि हुई है। आरबीआई के अनुसार वित्त वर्ष 2024 में महंगाई में कमी का अनुमान है। उन्होंने कहा कि वित्तवर्ष 2024 में जीडीपी ग्रोथ 6.5% प्रतिशत रह सकती है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2023 की अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में चालू खाता घाटा जीडीपी का 2.7% रहा।
गवर्नर शक्तिकांत ने महंगाई पर कहा कि वित्त वर्ष 2024 में खुदरा महंगाई दर (CPI) 5.2 प्रतिशत रह सकती है। उन्होंने कहा कि मीडियम टर्म में महंगाई को तय सीमा के भीतर लाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि जब तक महंगाई तय सीमा के भीतर नहीं आती है तब तक लड़ाई जारी रहेगी। आरबीआई गवर्नर ने अनुमान जताया कि वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.8% रह सकती है।
दास ने कहा कि हाल के वर्षों में देश में निगरानी व्यवस्था मजबूत हुई है। लिक्विडिटी मैनेजमेंट पर आरबीआई की नजर बनी हुई है। रुपये की स्थिरता के लिए भी भारतीय रिजर्व बैंक की कोशिशें जारी हैं। आरबीआई गवर्नर ने कंपनियों को कैपिटल बफर बनाने की सलाह दी है।
आरबीआई की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर बनाये रखने पर अपनी सहमति दी है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत या उससे नीचे रखा गया है।
बता दें कि एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा था कि आरबीआई के पास अब इस बात के पर्याप्त कारण मौजूद हैं कि वह अप्रैल की समीक्षा में रेपो दर में कोई वृद्धि न करे। तरलता के मोर्चे पर दिक्कतों के बावजूद केंद्रीय बैंक आगामी एमपीसी बैठक में नरम रुख अख्तियार कर सकता है।
घोष ने कहा कि खुदरा महंगाई के मोर्चे पर फिलहाल बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। पिछले 10 साल में औसत महंगाई दर 5.8 फीसदी रही है। इस बात की बहुत कम संभावना है कि आने वाले दिनों में खुदरा महंगाई 5.5 फीसदी या उससे नीचे आएगी। पिछले दो महीने से खुदरा महंगाई आरबीआई के 6 फीसदी के संतोषजनक दायरे से ऊपर रही है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने आशंका जताई थी कि पिछले दो महीनों से खुदरा महंगाई के 6 फीसदी से ऊपर बने रहने और तरलता के भी तटस्थ हो जाने के बाद अनुमान है कि आरबीआई रेपो दर में 0.25 फीसदी की वृद्धि कर सकता है। साथ ही, वह संकेत दे सकता है कि दरों में बढ़ोतरी का दौर खत्म हो चुका है। मई, 2022 से अब तक रेपो दर 2.50% बढ़ चुकी है