भारतीय बैंकों में लोगों के हजारों करोड़ रुपये लावारिस, कोई लेने वाला नहीं है

मुंबई- बैंकों में लोग खून पसीने की कमाई जमा करते हैं। इसकी खोज खबर लेते रहते हैं। लेकिन ऐसे भी ढेरों लोग हैं, जो बैकों में पैसे जमा कर भूल गए हैं। ऐसा भूले कि 10 साल तक खोज खबर ही नहीं ली। ऐसे में भला बैंक भी क्या करे? सार्वजनिक क्षेत्र के या कह लें पब्लिक सेक्टर बैंक (PSB) ने हाल ही में इसी तरह के 35000 करोड़ रुपये से अधिक की रकम रिजर्व बैंक को दे दी है। इस राशि का बैंकों के पास कोई पूछनहार या दावेदार नहीं था।

केंद्रीय वित्त मंत्राालय ने पिछले दिनों संसद में यह जानकारी दी कि सरकारी क्षेत्र के बैंकों ने बीते फरवरी में ही रिजर्व बैंक को 35,012 करोड़ रुपये सौंप दिए। इस राशि का कोई दावेदार नहीं था। लोकसभा में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भगवत कराड ने एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अनक्लेम्ड अमाउंट सबसे ज्यादा स्टेट बैंक में है। SBI में 8,086 करोड़ रुपये बगैर दावे वाली राशि के रूप में थी। जबकि पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के पास 5,340 करोड़ रुपये और केनरा बैंक के पास 4,558 करोड़ रुपये थे।

रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक, सेविंग्स या करेंट अकाउंट में जमा राशि का जब 10 साल तक कोई खोज खबर नहीं लेता है, तो यह अनक्लेम्ड अमाउंट बन जाता है। उसी तरह ऐसे टर्म या फिक्स्ड डिपॉजिट, जिनके मैच्योर होने की तारीख से 10 साल बाद तक कोई दावेदार सामने नहीं आए तो उन्हें ‘अनक्लेम्ड डिपॉजिट’ माना जाता है। इन पैसों को RBI द्वारा बनाए गए ‘डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयनेस फंड’ में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

यदि आप भी बैंक में पैसे जमा करते हैं तो खाते में लेन देन करते रहें। यदि आप एक निश्चित अवधि तक इसमें लेन देन नहीं करते हैं तो आप खाता भी निष्क्रिय हो जाता है। जब और ज्यादा दिन तक इसकी खोज खबर नहीं लेते हैं तो फिर यह अनक्लेम्ड बन जाता है।

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