आईपीओ की तरह सेकेंडरी बाजार में भी अस्बा, यूपीआई से पैसा होगा ब्लॉक 

मुंबई। जिस तरह निवेशक आईपीओ में पैसा लगाने के लिए अस्बा का विकल्प चुनते हैं, उसी तरह का नियम अब सेकेंडरी बाजार में भी लागू कर दिया गया है। बुधवार को सेबी ने बोर्ड की बैठक में इसे मंजूरी दे दी। अब निवेशक किसी शेयर को खरीदने के लिए पहले से ही पैसों को ब्लॉक कर सकते हैं। हालांकि, यह सुविधा निवेशकों और ब्रोकरों के लिए वैकल्पिक होगी। 

दरअसल, अभी तक आप आईपीओ में शेयर खरीदना चाहते हैं तो आपको खाते में उस पैसे को ब्लॉक करने के लिए एप्लीकेशन सपोर्टेड बाई ब्लॉक्ड अमाउंट (अस्बा) के तहत आवेदन करना होता है। यही व्यवस्था सेकेंडरी यानी जो शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं, उस पर भी लागू होगी। इसके तहत जब आप शेयर खरीदना चाहेंगे तो उसके लिए उतना पैसा पहले ही खाते में ब्लॉक कर सकेंगे। इसे यूपीआई के जरिये किया जा सकेगा। 

प्रस्तावित ढांचे के तहत, स्टॉक ब्रोकरों को या तो सीधे यूपीआई ग्राहकों के साथ ब्रोकरेज का निपटान करने की अनुमति होगी या ग्राहकों के यूपीआई ब्लॉक से ब्रोकरेज दर को लेने के लिए क्लियरिंग कॉर्पोरेशन की सुविधा का विकल्प चुनना होगा। इस ढांचे को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। 

इस ढांचे का उद्देश्य ग्राहक के बचत खाते में पैसे पर ब्याज का लाभ देना है, जब तक कि उसके खाते से रकम कट नहीं जाए। नियामक ने कहा कि ढांचे के तहत, बिचौलियों के पूल खातों से गुजरे बिना, क्लियरिंग कॉरपोरेश के साथ सीधा समझौता होगा। 

सेबी ने तनाव के समय में निवेश ग्रेड कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों को खरीदने के लिए बैकस्टॉप सुविधा के रूप में कार्य करने के लिए वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) के रूप में कॉर्पोरेट डेट मार्केट डेवलपमेंट फंड (सीडीएमडीएफ) की स्थापना को भी मंजूरी दी है। नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट कंपनी (एनसीजीटीसी) की ओर से प्रदान की जाने वाली गारंटी के आधार पर सीडीएमडीएफ, बाजार अव्यवस्था के दौरान कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों को खरीदने के लिए धन जुटा सकती है। 

इससे कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में निवेशकों का विश्वास जगाने में मदद मिलेगी और सेकेंडरी बाजार में तरलता भी बढ़ेगी। नियामक ने कहा, बाजार अव्यवस्था के दौरान प्रतिभूतियों को बेचने के लिए फंड तक पहुंच म्यूचुअल फंड स्तर पर फंड में किए गए योगदान के अनुपात में विशिष्ट म्यूचुअल फंड योजनाओं के लिए होगी। 

सेबी बोर्ड ने म्यूचुअल फंड में ट्रस्टी और असेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसी) के बोर्ड की भूमिका और जवाबदेही में स्पष्टता लाने के लिए म्यूचुअल फंड रेगुलेशंस में सुधार करने की मंजूरी दे दी है। संशोधन विशिष्ट क्षेत्रों को ट्रस्टियों की मुख्य जिम्मेदारियों के रूप में पहचानने के लिए प्रदान करता है। 

इसके अलावा, नियामक ने म्यूचुअल फंडों के प्रायोजकों बनने के लिए निजी इक्विटी या इसके मैनेजरों के संशोधनों को मंजूरी दे दी है। इनके पास धन प्रबंधन और वित्तीय क्षेत्र में निवेश करने का कम से कम पांच साल का अनुभव होना चाहिए साथ ही आवेदन के समय कम से कम 50 अरब रुपये की प्रतिबद्ध प्रबंधन होना चाहिए। फिलहाल देश में केवल वित्तीय सेवाओं वाली कंपनियों और कॉरपोरेट ही म्यूचुअल फंड का कारोबार कर सकते हैं। इसका उद्देश्य उद्योग को अधिक लचीलापन बनाना और म्यूचुअल फंड के प्रायोजक बनने के लिए संस्थाओं को सक्षम करना है। 

देश में म्यूचुअल फंड कंपनियों की संख्या बढ़ेगी। इससे निवेशकों को भी और विकल्प मिल सकेंगे और यह उद्योग भी तेजी से विकसित होगा और ज्यादा लोगों तक इसकी पहुंच होगी। सेबी ने बुधवार को बोर्ड में कहा कि गैर-तरल और निवेश ग्रेड डेट पेपर खरीदने के लिए कॉर्पोरेट ऋण बाजार को बैकस्टॉप करने के लिए एक फंड को मंजूरी दे दी है। 

तनाव के दौर में अपने कॉर्पोरेट ऋण बाजार में तरलता बढ़ेगी। इससे बिक्री के लिए भागदौड़ कम होगी और और पैसे निकासी के दबाव को कम करने में मदद मिलेगी। 

सेबी ने बाजार पूंजीकरण के लिहाज से सूचीबद्ध शीर्ष 100 कंपनियों को कहा है कि वे किसी भी तरह की अफवाहों के बारे में या तो उसे सही बताएं या फिर गलत बताएं। क्योंकि इस तरह की अफवाहों से उनके शेयर के भाव पर असर पड़ता है जिससे निवेशकों पर भी असर होता है। इस नियम को एक अक्तूबर से लागू किया जाएगा। अप्रैल, 2024 से इसे बढ़ाकर शीर्ष 250 कंपनियों के लिए कर दिया जाएगा। 

सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच ने इस दौरान अदाणी और हिंडनबर्ग मामले में कोई जवाब देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा, मामला अदालत में है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारत में सिलिकॉन वैली बैंक जैसे हालात नहीं हैं। उन्होंने कहा, अगर आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखें तो उन्होंने हमें अपडेट देने को कहा है। हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कर रहे हैं। सेबी जिन मुद्दों पर गौर कर रहा है उनमें से एक कानून की भावना बनाम कानून का पत्र है। हम आने वाले वर्ष में इसे आगे ले जाना चाहते हैं। 

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