बड़े कॉरपोरेट खातों पर कड़ी निगरानी रखने का सरकारी बैंकों को आदेश 

मुंबई- सरकारी क्षेत्र के बैंकों को बड़े खातों को दिए गए कर्ज की कड़ी निगरानी करने का आदेश दिया गया है। साथ ही सरकार ने दो हफ्ते के भीतर प्रमुख क्षेत्रों में व्यावसायिक जोखिमों से निपटने के लिए एक योजना भी पेश करने को कहा गया है। शनिवार को ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंक प्रमुखों के साथ बुरे फंसे कर्ज, जमा सहित अन्य मुद्दों को लेकर बैठक की थी। 

भारतीय बैंकों को अतीत में दिवालिया कानून के तहत कर्ज से ग्रसित कंपनियों के प्रति जोखिम पर गहरी कटौती करनी पड़ी थी। एक बैंकर ने कहा, कि बड़े कॉर्पोरेट ऋण खातों की टेस्टिंग बढ़ाने में बुद्धिमानी होगी। सूत्रों ने कहा कि बैंकों को बढ़ती ब्याज दरों के बीच उनकी बैलेंसशीट में मार्क-टू-मार्केट प्रभाव की निगरानी करने और उनके तरलता अनुपात को बनाए रखने के लिए भी कहा गया था। 

एक बैंकर ने कहा कि वैश्विक बैंकिंग अशांति के बीच उधारदाताओं को अपनी संपत्ति-देयता प्रोफाइल का आकलन करने की आवृत्ति बढ़ाने के लिए भी कहा गया है। कुछ अमेरिकी बैंकों के पतन ने विश्व स्तर पर बैंकों के बारे में चिंता पैदा की है। इससे अब अधिकतर देश के बैंकों में अतिरिक्त सावधानी बरती जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने मार्च में कहा था कि भारत की बैंकिंग प्रणाली स्थिर बनी हुई है। बैंकों ने खुद को किसी भी अप्रत्याशित तनाव से बचाने के लिए पर्याप्त बफर का निर्माण किया है। 

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