अरहर दाल की जमाखोरी पर लगाम के लिए समिति का गठन, रुकेगी कीमत

मुंबई- जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए आयातकों, मिलों, स्टॉकिस्टों और व्यापारियों के पास मौजूद अरहर दाल के भंडार की निगरानी के लिए सरकार ने एक समिति का गठन किया गया है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सरकार घरेलू बाजार में अन्य दालों के भंडार की स्थिति पर भी करीब से नजर रख रही है, ताकि आने वाले महीनों में कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि की स्थिति में आवश्यक कदम उठाए जा सकें। 

अतिरिक्त सचिव निधि खरे की अध्यक्षता वाली समिति राज्य सरकारों के साथ घनिष्ठ समन्वय में अरहर के भंडार की निगरानी करेगी। दरअसल, ऐसी खबरें आई हैं कि आयात के बावजूद व्यापारी दालों को बाजार में नहीं छोड़ रहे हैं। इससे कीमतों में तेजी आ सकती है। इसके अलावा, सुचारू और निर्बाध आयात की सुविधा के लिए सरकार ने गैर-एलडीसी देशों से अरहर के आयात के लिए लागू 10 फीसदी शुल्क को हटा दिया है, क्योंकि यह शुल्क कम विकसित देशों (एलडीसी) से शून्य शुल्क आयात के लिए भी बाधाएं पैदा करता है। 

उधर, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने थोक ग्राहकों, संस्थानों और राज्य सरकारों को सस्ते दरों पर गेहूं की ई-नीलामी को फिलहाल रोकने का फैसला किया है। इसने कहा है कि नई फसल अगले महीने से आएगी, तब इस बारे में आगे का फैसला किया जाएगा। खुले बाजारों के जरिये एफसीआई ने अब तक 33 लाख टन गेहूं बेचा है। इसमें से 31 लाख टन खरीदारों ने ले लिया है। बाकी 31 मार्च तक खरीदार ले जाएंगे। कीमतें कम करने के लिए सरकार ने सस्ते में 50 लाख टन गेहूं बेचने का फैसला किया था। 

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