एलआईसी के इक्विटी- डेट में निवेश पर लगेगी सीमा,हिंडनबर्ग रिपोर्ट का असर
मुंबई- देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी जीवन बीमा निगम (LIC) अपने निवेश, कर्ज और कंपनियों में इक्विटी एक्सपोजर को बदलने की योजना बना रही है। अडानी समूह में एलआईसी के एक्सपोजर को लेकर खूब हंगामा हुआ। इस विवाद के बाद अब एलआईसी डेट और इक्विटी एक्सपोजर को लेकर नई योजना बना रही है। बीमा कंपनी इसकी मदद से ना केवल रिस्क को कम करना चाहती है बल्कि इससे बीमाधारकों का भरोसा और बढ़ेगा।
एलआईसी शेयर बाजार में कंपनियों के शेयरों में निवेश करती है। इसी के तहत एलआईसी ने अडानी की कंपनियों में भी निवेश किया है। एलआईसी अब कर्ज और कंपनियों में इक्विटी एक्सपोजर पर कैप लगाने की योजना बना रही है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक एलआईसी कंपनियों में अपने डेट और इक्विटी में एक्सपोजर की सीमा तय करेगी।
बीमा कंपनी निवेश की रणनीतियो को मजबूत करना चाहती है, ताकि रिस्क को कम किया जा सके। हलांकि अभी एलआईसी बोर्ड की ओर से इसपर मंजूरी नहीं मिली है। मौजूदा नियम के मुताबिक वर्तमान में एलआईसी किसी भी कंपनी में 10 फीसदी आउटस्टैंडिंग इक्विटी या डेट से ज्यादा निवेश नहीं कर सकती है।
बीमा कंपनी ने अडानी की सात कंपनियों में निवेश किया है। अडानी एंटरप्राइजेज ,अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी पोर्ट्स, अडानी टोटल गैस , अडानी ट्रांसमिशन, अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी में एलआईसी का एक्सपोजर है। इस निवेश की वैल्यू 30127 करोड़ रुपये है। डेट और इक्विटी दोनों मिलाकर एलआईसी का अडानी कंपनी में कुल एक्सपोजर 36474.78 करोड़ रुपये का है। ये एक्सपोजर एलआईसी के कुल निवेश का मात्र 0.975 फीसदी है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के कारण जब अडानी के शेयर गिर रहे थे तो एलआईसी के निवेश की वैल्यू भी गिर रही थी। जिसे लेकर खूब हंगामा भी हुआ । अडानी समूह की कंपनियों में निवेश को लेकर LIC की काफी आलोचना हुई। अब कंपनी एक्सपोजर पर कैपिंग लगाने की तैयारी कर रही है।