कच्चे तेल के दाम 20 रुपये लीटर घटे, पेट्रोल-डीजल पर कोई राहत नहीं 

मुंबई- कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल के दामों में कोई राहत नहीं मिल रही है। जून, 2022 से लेकर इस साल मार्च तक कच्चे तेल का दाम 58.80 रुपये से गिरकर 38.70 रुपये प्रति लीटर हो गया है। जबकि पेट्रोल की कीमत इसी दौरान 96.70 रुपये और डीजल का भाव 89.60 रुपये लीटर पर स्थिर रहा है। हालांकि, इसी हफ्ते में कच्चा तेल 71 डॉलर प्रति बैरल के नीचे पहुंच गया, जो 15 महीने का निचला स्तर है। 

बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के अनुसार, तेल मार्केटिंग कंपनियों ने पेट्रोल की मूल दर को भी 57 रुपये लीटर रखा है। इसके बाद इसमें 19.90 रुपये केंद्र सरकार का एक्साइज शुल्क और 15.70 रुपये राज्यों का टैक्स लगता है। 3.80 रुपये डीलर का कमीशन और फिर किराया भी होता है। यह सब मिलाकर पेट्रोल 96 रुपये पर है।  

डीजल की मूल दर 57.90, राज्यों का टैक्स 13.10 रुपये और 15.80 रुपये एक्साइज शुल्क है। इस तरह यह 89 रुपये पहुंच जाता है। अगर पेट्रोल को अप्रैल-2020 से देखें तो उस समय इसका मूल भाव 28 रुपये लीटर और डीजल का 31.5 रुपये लीटर था। अब दोनों का मूल भाव 57 रुपये के पार है। कच्चा तेल इसी दौरान 13.4 रुपये लीटर से बढ़कर 38.7 रुपये लीटर हो गया है। 

दिसंबर, 2020 से जून, 2021 के दौरान कच्चे तेल की कीमतें 50 से 72 डॉलर प्रति बैरल हो गईं थीं। जबकि जून, 2021 से मार्च, 2022 के बीच कच्चा तेल 73 डॉलर से बढ़कर 98 डॉलर प्रति बैरल और मार्च, 2022 से जून, 2022 के बीच यह रिकॉर्ड 119.8 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। इस दौरान कंपनियों ने कई बार कीमतों में बेतहाशा वृद्धि की और एक समय तो पेट्रोल कुछ जगहों पर 120 रुपये लीटर पहुंच गया था। लेकिन इसकी औसत कीमत 100 रुपये के करीब थी। हालांकि, बाद में इसमें मामूली कमी की गई और यह तब से लेकर अब तक 96 रुपये के आस पास ही है। 

पिछले 15 महीने से पेट्रोल और डीजल की कीमतों को समान रखने के बाद भी तीन प्रमुख तेल कंपनियों को अप्रैल से सितंबर, 2022 के दौरान 21,201 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। हालांकि, इस दौरान सरकार ने इन कंपनियों को 22,000 करोड़ रुपये की पूंजी भी दी। तेल कंपनियों ने 6 अप्रैल, 2022 के बाद से कीमतों में कोई भी बदलाव नहीं किया है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, मई, 2020 से दिसंबर, 2020 के दौरान कच्चे तेल की कीमतें 32 प्रति बैरल से बढ़कर 50 डॉलर हो गई, जबकि पेट्रोल की खुदरा कीमतों में तेल मार्केटिंग कंपनियों का हिस्सा केवल 3.5 फीसदी बढ़कर 4.9 फीसदी रहा। दूसरी ओर केंद्र का हिस्सा 46.3 फीसदी से घटकर 39.7 फीसदी हो गया। क्योंकि एक्साइज ड्ड्यूटी घटी थी और खुदरा कीमतें बढ़ीं थीं। पहले जब कच्चे तेल की कीमतें 75-80 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के आस-पास रहती थीं, तब खुदरा क्षेत्र में तेल कंपनियों की हिस्सेदारी पेट्रोल की कीमत 6 से 12 फीसदी के बीच रही। वर्तमान में यह हिस्सेदारी 19.1% है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *