सरकारी योजना का असर, 10 अरब डॉलर होगा मोबाइल फोन निर्यात
नई दिल्ली। स्थानीय विनिर्माण को आकर्षित करने के लिए सरकार की योजना का असर दिखने लगा है। चालू वित्त वर्ष में देश से 10 अरब डॉलर यानी 82,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्मार्ट मोबाइल फोन का निर्यात होगा। पिछले साल की तुलना में यह दोगुना ज्यादा है।
इंडिया सेल्यूलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के आंकड़ों के मुताबिक, इस निर्यात में एपल के मेक इन इंडिया स्मार्टफोन का हिस्सा 50 फीसदी होगा। सेमसंग का हिस्सा 40 फीसदी जबकि अन्य कंपनियों का हिस्सा 10 फीसदी होगा।
इस साल में स्मार्टफोन के निर्यात में तेजी इसलिए आई है क्योंकि कंपनियां उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का फायदा उठा रही हैं। इसके लिए वे बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं। एपल चीन की अपनी विनिर्माण इकाई को अगले दो से तीन साल में भारत और वियतनाम में लाने की कोशिश कर रही है। भारत के शीर्ष पांच निर्यात देशों में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), अमेरिका, नीदरलैंड, ब्रिटेन और इटली हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, मोबाइल फोन उद्योग 40 अरब डॉलर के विनिर्माण उत्पादन को पार कर जाएगा। इसका 25 फीसदी यानी 10 अरब डॉलर का निर्यात होगा। सरकार मोबाइल से इतर इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण परिवेश को मजबूत करने के लिए भी काम कर रही है ताकि इसके अन्य कलपुर्जों का भी बड़े पैमाने पर भारत हब बन सके, क्योंकि स्मार्टफोन के अलावा इनकी भी बिक्री बहुत ज्यादा होती है।
एपल के आईफोन के 45-50 फीसदी उत्पादन 2027 तक भारत में होगा। चीन में 2022 में 80-85 फीसदी का उत्पादन होता था, भारत में 10-15 फीसदी। चीन से एपल का उत्पादन हटने का सबसे बड़ा फायदा भारत और वियतनाम को। एपल पहली ऐसी स्मार्टफोन कंपनी है, जिसने भारत से दिसंबर में एक अरब डॉलर के स्मार्टफोन का निर्यात किया