बैंकों के डूबने के बीच अमेरिका में फिर बढ़ी 0.25 फीसदी ब्याज दर, आरबीआई पर भी दबाव

नई दिल्ली। बैंकों के डूबने की घटनाओं के बीच एक बार फिर अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने दरों में वृद्धि कर दी है। बुधवार देर रात 0.25 फीसदी की वृद्धि की गई है। इससे इसकी नई दर अब 4.75 से 5 फीसदी के बीच पहुंच गई है। यह साल 2007 के बाद से सर्वोच्च स्तर है। हालांकि, वहां के शेयर बाजार एसएंडपी 500 पर इसका कोई असर नहीं दिखा है और यह देर रात मामूली बढ़त के साथ कारोबार कर रहा था।

2007 में भी इसी स्तर पर जब दरें थीं, तो 2008 में वहां का लेहमन ब्रदर्स बैंक डूबा था और उसकी वजह से पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी आ गई थी। एक बार फिर से उसी स्तर पर दरें हैं और इसका असर कुछ हद तक दिखा भी है जब यहां के दो बैंक डूब गए और एक बैंक को किसी और के साथ विलय कर दिया गया।

विश्लेषकों का अनुमान है कि महंगाई को नियंत्रण में लाने के लिए फेडरल रिजर्व बैंक इस साल अभी एक बार और दरों में वृद्धि कर सकता है। हालांकि, अगले साल दरों को बढ़ाने की रफ्तार रुक सकती है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक के इस फैसले के बाद अप्रैल के पहले हफ्ते में अब आरबीआई भी दरें बढ़ा सकता है।

विश्लेषकों का मानना है कि आरबीआई 0.25 फीसदी की बढ़त कर सकता है। इसी हफ्ते यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ईसीबी) ने दरों में आधा फीसदी का इजाफा किया था। इन संकेतों से ऐसा अनुमान है कि महंगाई रोकने के लिए दुनिया भर के केंद्रीय बैंक इस साल दरों को आक्रामक तरीके से बढ़ाने की गति जारी रखेंगे।

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