वैश्विक अर्थव्यवस्था में धीमापन, पर भारत की होगी तेज वृद्धि 

मुंबई। वैश्विक अर्थव्यवस्था में भले ही धीमापन रहे, लेकिन भारत वित्त वर्ष 2022-23 में विकास की तेज गति को बनाए रखेगा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक लेख में कहा गया है कि हम भारत के बारे में आशावादी बने हुए हैं, भले ही कितनी भी कठिनाइयां हों। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के फरवरी में जारी आंकड़ों से संकेत मिलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया के कई हिस्सों की तुलना में एक चुनौतीपूर्ण वर्ष की ओर बढ़ने के लिए आंतरिक रूप से बेहतर स्थिति में है। 

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा के नेतृत्व वाली टीम ने लिखा है कि यहां तक कि जब 2023 में वैश्विक विकास धीमा होने या मंदी में प्रवेश करने के लिए तैयार है, भारत महामारी के बाद भी अधिक मजबूत होकर उभरा है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के बाद से गति में लगातार वृद्धि हुई है। 

लेखकों ने कहा, देश की वास्तविक जीडीपी 2022-23 में 159.7 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 170.9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है, जबकि वर्तमान अनुमान 169.7 लाख करोड़ रुपये का है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के विपरीत हम भारत के बारे में आशावादी बने हुए हैं, चाहे कितनी भी बाधाएं हों। 

देश की जीडीपी के बारे में अनुमान है कि यह 2023-24 में 6 से 6.5 फीसदी के बीच रह सकती है। आरबीआई का भी अनुमान इसी स्तर का है। केंद्रीय बैंक ने कहा, लेख में जो भी बातें कही गई हैं, वे लेखकों के अपने विचार हैं। यह आरबीआई का विचार नहीं है। 

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