क्रेडिट सुइस के संकट से भारत में 14,000 नौकरियों पर खतरा, आईटी पर असर
मुंबई- अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट से भारत में 14,000 नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। यूबीएस और क्रेडिट सुइस दोनों के 7,000-7,000 कर्मचारी भारत के तीन शहरों में हैं। अब दोनों के विलय से यूबीएस इन कर्मचारियों में से अधिकतर की छंटनी कर सकता है, क्योंकि 2027 तक वह लागत कटौती में 8 अरब डॉलर का लक्ष्य रखा है। ऐसे में भारत में ज्यादा असर कर्मचारियों की छंटनी पर होगा।
बैंकिंग संकट से भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों (आईटी) के लिए भी मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। देश की आईटी कंपनियों को विदेशी बैंकों से बहुत बड़ा कारोबार मिलता है। ये बैंक मौजूदा टेक बजट में कटौती के साथ आगे के सौदे को भी बंद कर सकते हैं। भारत में 245 अरब डॉलर (20 लाख करोड़ रुपये) का आईटी बिजनस प्रोसेस मैनेजमेंट (आईटी-बीपीएम) उद्योग का भविष्य खतरे में है। नैसकॉम के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023 में आईटी उद्योग का 41 फीसदी राजस्व बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज एंड इंश्योरेंस सेक्टर (बीएफएसआई) से आया था। इसमें उत्तरी अमेरिका की हिस्सेदारी 50 फीसदी से अधिक है।
बैंकिंग संकट गहराता है तो सबसे ज्यादा असर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (टीसीएस), विप्रो, इन्फोसिस और एलएंडटी माइंडट्री जैसी कंपनियों पड़ सकता है। वजह यह है कि इनका अमेरिका के वित्तीय संस्थानों से ज्यादा कारोबार आता है। दुनियाभर में रिटेल बैंकिंग में टेक्नोलॉजी में निवेश के मामले में उत्तरी अमेरिका के बैंक सबसे आगे हैं। 2022 में इन बैंकों का आईटी बजट 82 अरब डॉलर था। बैंकों के टेक बजट पर खर्च से भारतीय आईटी कंपनियों को काफी फायदा हुआ था।
जानकारों का कहना है कि टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो और माइंडट्री का अपने बैंकिंग वर्टिकल के जरिए उत्तरी अमेरिका के क्षेत्रीय बैंकों में एक्सपोजर है। बैंकिंग संकट के कारण निकट समय में उनकी बीएफएसआई वृद्धि पर असर पड़ेगा। अनिश्चितता के माहौल से नए प्रोजेक्ट पर असर पड़ेगा। इससे लागत का दबाव बढ़ेगा। मौजूदा करार के लिए भी नए सिरे से मोलभाव हो सकता है। इससे लाखों नौकरियों पर असर पड़ सकता है। जब ये कंपनियां मार्च तिमाही के नतीजों की घोषणा करेंगी तो उन्हें निवेशकों के मुश्किल सवालों का सामना करना पड़ेगा।