बैंकिंग संकट से भारतीय आईटी कंपनियों पर बुरा असर, शेयर जमकर टूटे 

मुंबई- अमेरिका से शुरू हुए बैंकिंग संकट ने यूरोप को भी अपनी चपेट में ले लिया है। इससे भारतीय आईटी कंपनियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। टीसीएस, इन्फोसिस और एचसीएल जैसी कंपनियों का 40 फीसदी रेवेन्यू बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस (BFSI) कंपनियों से आता है।  

महंगाई को रोकने के लिए दुनियाभर के बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं। इससे दुनिया की इकॉनमी में सुस्ती हावी हो गई है। इससे भारत की आईटी कंपनियों की मुश्किलें पहले से बढ़ी हुई हैं। अब बैंकिंग सेक्टर ने उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है। अमेरिका और यूरोप सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री के लिए सबसे बड़े बाजार हैं। देश की टॉप आईटी कंपनियों के लिए बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर उनके लिए सबसे बड़ा वर्टिकल है। वित्त वर्ष 2022 में देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टीसीएस के कंसोलिडेटेड टर्नओवर में बीएफएसआई का हिस्सा करीब 40 फीसदी था। इन्फोसिस की भी यही स्थिति थी। 

बैंकिंग संकट की शुरुआत अमेरिका से हुई। स्टार्टअप कंपनियों को लोन देना वाला सिलिकॉन वैली बैंक रातोंरात डूब गया। इसके बाद नंबर आया सिग्नेचर बैंक का। क्रिप्टो कंपनियों को लोन देने वाला यह बैंक भी बैठ गया। फर्स्ट रिपब्लिक बैंक भी अंतिम सांसें गिन रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्याज दर बढ़ने से अमेरिका में 186 बैंक डूबने के कगार पर हैं। यूरोप में क्रेडिट सुइस के शेयरों में सोमवार को बाजार खुलते ही 63 परसेंट गिरावट आई। उसे खरीदने जा रहे यूबीएस के शेयर भी शुरुआती कारोबार में 14 फीसदी गिर गए। 

अमेरिका और यूरोप में बैंकों की हालत खराब होने का असर भारत की आईटी कंपनियों पर भी पड़ सकता है। फाइनेंशियल ईयर 2024 में उनकी कमाई बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। आईटी सेक्टर के दिग्गज और एचसीएल टेक्नोलॉजीज के पूर्व सीईओ विनीत नायर ने कहा कि यह बता पाना मुश्किल है कि आगे क्या होगा, लेकिन अनिश्चितता के माहौल से नए प्रोजेक्ट पर असर पड़ेगा। इससे कॉस्ट प्रेशर बढ़ेगा। इससे आउटसोर्सिंग बढ़ेगी और मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए भी नए सिरे से मोलभाव हो सकता है। इससे आईटी कंपनियों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल बढ़ाएंगी ताकि उनके मुनाफा प्रभावित न हो। 

इस स्थिति को देखते हुए एनालिस्ट्स ने फाइनेंशियल ईयर 2024 के लिए आईटी कंपनियों की कमाई के अनुमानों को कम कर दिया है। नोमूरा के एनालिस्ट्स अभिषेक भंडारी और कृष बेरीवाल ने एक रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2024 में भारत की आईटी कंपनियों का परफॉरमेंस प्रभावित हो सकता है। जब ये कंपनियां मार्च तिमाही के नतीजों की घोषणा करेंगी तो उन्हें निवेशकों के मुश्किल सवालों का सामना करना पड़ेगा।  

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