गैस के बाद देश में एक साल में 6.5 फीसदी तक बढ़ गई दूध की कीमतें 

नई दिल्ली। खुदरा महंगाई के लगातार छह फीसदी से ऊपर रहने के साथ ही दूध की कीमतों में भी जमकर इजाफा हुआ है। एक साल में इसके दाम में 6.5 फीसदी की बढ़त आई है, जबकि पिछले पांच माह में यह 8 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया है। एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग ऊची बने रहने के कारण आगे भी दूध की कीमतों का बढ़ना जारी रहेगा। 

दूध और इसके उत्पादों में पिछले वर्ष की तुलना में मासिक वृद्धि 0.8 फीसदी रही है। कोरोना के पहले के पांच सालों में औसत 0.3 फीसदी की वृद्धि की तुलना में इस समय यह दोगुना बढ़ गया है। हेडलाइन मुद्रास्फीति में इसका योगदान महामारी के बाद 6 प्रतिशत तक हो गया है। दूध की कीमतों में जारी तेजी के कई कारक हैं। इसमें बढ़ती लागत लागत, महामारी के कारण व्यवधान और अंतरराष्ट्रीय कीमतें जुड़ी हैं। हालांकि, पशुओं के चारे के दाम में लगातार बढ़ोतरी इसका प्रमुख कारण है। 

फरवरी 2022 से चारे की कीमतें 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुकी हैं। वास्तव में मई के बाद से इसकी कीमतों में कभी भी 20 फीसदी से कम की वृद्धि नहीं हुई है। पिछले तीन महीनों में पशु चारे की कीमतों में कुछ कमी आई है, लेकिन पिछले वर्ष की तुलना में यह अभी भी औसतन छह फीसदी से ज्यादा है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि किसानों को लागत को नियंत्रित करने के लिए चरवाहों की संख्या को भी घटाना पड़ा है। साथ ही उन्होंने जानवरों को कम खाना भी देना शुरू कर दिया। खासकर बछड़ों और गर्भवती मवेशियों को जो उस समय दूध नहीं देते हैं। एक गाय की बछिया आमतौर पर 15-18 महीनों में बड़ी होती है। अगर गाय के गर्भावस्था के समय से देखें तो यह 24-28 महीने में दूध देना शुरू करती है। जबकि भैंसें 36 से 48 महीने में दूध देना शुरू करती हैं। 

दूध की पैदावार कम हो गई है, और डेयरियां साल भर कम दूध की खरीद करती रही हैं। वित्त वर्ष 2021 से 2022 के दौरान डेयरी का निर्यात दोगुना हो गया था। खासकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें बढ़ने से वित्त वर्ष 2023 में भी ऐसा ही रुझान रहने वाला है। सितंबर के बाद से जब जानवर बेहतर चारे की उपलब्धता और कम तापमान के साथ आम तौर पर अधिक दूध देते हैं। यह मार्च-अप्रैल तक जारी रहता है। 

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