आईटी-कॉरपोरेट मंत्रालय के पास जमा कागजातों से पता लगाई जाएगी जीएसटी चोरी

मुंबई- वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विभाग कर चोरी के लिए अब नए तरीके अपनाएगा। कर आधार को बढ़ाने और जीएसटी देनदारी चुकाई जा रही है या नहीं, इसका पता लगाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए विभाग जल्द ही कंपनियों और पेशेवरों के आयकर रिटर्न (आईटीआर) और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के पास जमा दस्तावेजों का विश्लेषण शुरू होगा।

जीएसटी में इस समय केवल 1.38 करोड़ पंजीकृत व्यवसाय और पेशेवर हैं। एक अधिकारी ने रविवार को बताया, हम आयकर विभाग के पास उपलब्ध सूचनाओं के आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे। यह उन संस्थाओं पर होगा, जिन्हें छूट नहीं मिली है और जिन्हें जीएसटी में पंजीकरण करने और मासिक या तिमाही रिटर्न दाखिल करने की जरूरत है। जीएसटी कानून का पालन नहीं करने वाली संस्थाओं से इसकी वजह पूछी जाएगी।

अधिकारी ने कहा, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) के साथ मिलकर कंपनियों के तिमाही और वार्षिक आंकड़ों के आधार पर यह पता लगाएगा कि क्या कोई जीएसटी चोरी हो रही है। पहले चरण में आयकर विभाग और जीएसटी आंकड़ों का मिलान होगा। इसके बाद एमसीए के आंकड़ों से इसका मिलान किया जाएगा।

जीएसटी के तहत चालू वित्त वर्ष में फरवरी तक कुल 13,492 चोरी के मामले मिले थे। एक साल पहले यह 12,574 और 2020-21 में यह 12,596 था। जुलाई, 2017 से फरवरी, 2023 के कुल 3.08 लाख करोड़ रुपये के मामलों का पता लगा है। जबकि 1,402 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

कर विभाग जोखिम भरे करदाताओं की पहचान करने और उन्हें ट्रैक करने और कर चोरी का पता लगाने के लिए मजबूत डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर रहा है। नए जीएसटी पंजीकरण के लिए अनिवार्य आधार-आधारित सत्यापन के साथ-साथ उन पंजीकृत व्यक्तियों के पंजीकरण को निलंबन भी किया जा रहा है जो समय पर रिटर्न दाखिल करने में चूक करते हैं।

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