पर्याप्त शिकायत निवारण तंत्र नहीं रहा तो ग्राहक छोड़ सकते हैं डिजिटल भुगतान  

मुंबई- तेजी से बढ़ रहे डिजिटल भुगतान में ग्राहकों को हो रही दिक्कतों पर आरबीआई ने चिंता जताई है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अगर डिजिटल भुगतान में एक त्वरित शिकायत निवारण तंत्र की उपलब्धता को सुनिश्चित नहीं किया गया तो लोग इसका उपयोग छोड़ सकते हैं। इसलिए ग्राहकों का विश्वास बनाए रखने के लिए एक बेहतर शिकायत निवारण तंत्र की अत्यंत महत्वपूर्ण जरूरत है। 

गवर्नर दास ने शनिवार को कोच्चि में एक कार्यक्रम में कहा कि पारंपरिक बैंकों की शाखाओं में ग्राहक अपनी शिकायतें दर्ज तो करा देते हैं। पर डिजिटल भुगतान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। साथ ही शिकायतें कहां दर्ज कराई जाएं, इसका भी पता लगाने के लिए ग्राहक को काफी मुश्किलें हो रही हैं। ऐसे में इस तरह की मुश्किलों के कारण इस बात की ज्यादा संभावना है कि भविष्य में डिजिटल भुगतान से ग्राहक मुंह मोड़ सकते हैं। 

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर ने कहा, पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स (पीएसओ) से लेन-देन में शिकायतों को दूर करने के लिए एक त्वरित समाधान आसान तरीका है। लेकिन इसके साथ यह सवाल भी है कि कितने पीएसओ ने वास्तव में इसे सक्षम बनाया है? क्या संस्थाओं को इस तरह की पहल को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए? ग्राहकों की संतुष्टि के लिए इसे नहीं किया जाना चाहिए? आखिरकार पीएसओ भी तो जनता के पैसे से ही चल रहे हैं। गवर्नर ने यह भी कहा कि डिजिटल भुगतान और इसके ग्राहकों में वृद्धि से साइबर सुरक्षा, डेटा गोपनीयता और परिचालन से संबंधित संभावित जोखिम भी सामने आते हैं। 

दास ने कहा, पीएसओ को हमेशा उभरते खतरों के बारे में जागरूक होना चाहिए। जोखिम कम करने के उपायों को लागू करना चाहिए। एक संबंधित क्षेत्र जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है, वह पीएसओ की उनके विक्रेताओं के साथ आउटसोर्सिंग व्यवस्था है। साथ ही, वेंडर्स के साथ सर्विस लेवल एग्रीमेंट्स (एसएलए) को आरबीआई के निर्धारित न्यूनतम मानकों को पूरा करना चाहिए। ऐसे सभी करार में, सेवा प्रदाता का ऑडिट करने का पीएसओ का अधिकार हमेशा सुनिश्चित होना चाहिए। 

गवर्नर ने कहा, इस डिजिटल युग में, प्रासंगिक बने रहने और दक्षता बढ़ाने के लिए सिस्टम को लगातार अपग्रेड करने की आवश्यकता है। पारंपरिक प्रणालियों को जरूरतों के मुताबिक अपडेट किया जाना चाहिए। नए जमाने की कई तकनीकी कंपनियां भुगतान परिवेश में प्रवेश कर रही हैं और उनमें से कुछ पहली बार रिजर्व बैंक के नियामक दायरे में आई हैं। डिजिटल भुगतान के साथ ग्राहक का एक भी बुरा अनुभव उसे अन्य चैनलों या भुगतान के तरीकों से दूर कर सकता है। यहां पर पीएसओ की बड़ी जिम्मेदारी बनती है। 

वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने शनिवार को कहा कि बैंकों को ग्राहकों के साथ भगवान की तरह व्यवहार करना चाहिए। बैंकों को ग्राहकों की सेवाओं को सुधारना और समस्याओं को कम करना चाहिए। बैंक ऑफ महाराष्ट्र के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ग्राहकों को भी कर्ज का भुगतान करने के लिए जवाबदेह होना चाहिए ताकि बैंकों की वित्तीय हालत सही रहे। 

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