पाकिस्तान के जिन्ना के दामाद हैं ब्रिटानिया के नुस्ली वाडिया,बाल-बाल बचे थे 

मुंबई- नुस्ली वाड़िया देश के जाने माने उद्योगपति हैं। साल 1989 में नुस्ली वाडिया के ऊपर कथित तौर पर जानलेवा हमला करने की साजिश रची गई थी। इस मामले को पैंतीस साल बीत चुके हैं। सीबीआई कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में दो आरोपियों को बरी कर दिया है। 31 जुलाई, 1989 को कथित तौर पर बिजनेस दुश्मनी के कारण वाडिया को मारने की साजिश रचने के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी।  

नुस्ली वाडिया अभी करीब 79 वर्ष के हैं और वाडिया ग्रुप के चेयरमैन हैं। वाडिया ग्रुप एफएमसीजी, टेक्सटाइल और रियल एस्टेट सहित कई कारोबारों में है। बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि नुस्ली वाडिया ने बहुत मुश्किलों से बॉम्बे डाइंग कंपनी को बचाया था। 

नुस्ली वाडिया की मां दीना वाडिया, मुहम्मद अली जिन्ना की बेटी थीं। नुस्ली वाडिया के दादा सर नेस वाडिया एक प्रसिद्ध कपड़ा उद्योगपति थे, उन्होंने 19वीं शताब्दी के अंत में बंबई शहर को दुनिया के सबसे बड़े कॉटन ट्रेडिंग सेंटर्स में से एक में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वाडिया फैमिली देश के सबसे पुराने औद्योगिक घरानों में से एक है। यह देश में बिस्किट से लेकर कपड़ों के कारोबार तक में दखल रखती है। चेयरमैन के तौर पर वाडिया ग्रुप का कारोबार संभाल रहे नुस्ली वाडिया का पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना से भी गहरा कनेक्शन है। 

गोएयर से लेकर ब्रिटानिया और बॉम्बे डाइंग तक के मालिक नुस्ली वाडिया को कारोबार विरासत में मिला है। नुस्ली वाडिया देश के अमीर शख्स में से एक हैं। वाडिया ग्रुप की स्थापना वर्ष 1736 में हुई थी। नुस्ली वाडिया ने कारोबार में कदम 1970 के दशक में रखा था। एक समय ऐसा आया जब नुस्ली के पिता नेविल वाडिया बॉम्बे डाइंग कंपनी को बेचना चाहते थे। वह भारत भी छोड़ना चाहते थे। नुस्ली वाडिया ने इसका सख्त विरोध किया था। नुस्ली ने भारत में रहने और बॉम्बे डाइंग कंपनी को चलाने की बात कही थी। इस तरह वाडिया ग्रुप भारत में ही रह गया। 

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