चीन की कंपनियों के साथ कारोबार करने वाली भारतीय फर्मों निगरानी 

मुंबई- चीनी कंपनियों के साथ एशिया में कारोबार कर रही भारतीय कंपनियों पर कड़ी नजर रखी रही जा रही है। चीन के वित्तीय बाजार के नियामक ने भारत में सूचीबद्ध उन कंपनियों के शेयरों की निगरानी शुरू कर दी है, जिनका भाव ज्यादा मूल्यांकन पर कारोबार कर रहा है। इस महीने सिंगापुर इंटरनेशनल कमर्शियल कोर्ट (एसआईसीसी) के एक फैसले के बाद यह मामला सामने आया है। इस फैसले में भारत की किरी इंडस्ट्रीज और डायस्टार ग्लोबल होल्डिंग्स (सिंगापुर) शामिल हैं, जो चीन में दुनिया की सबसे बड़ी डाई निर्माता की सहायक कंपनी है। 

सूत्रों ने बताया कि किरी में 37.57 फीसदी हिस्सा खरीदने की डायस्टार की उम्मीद अब कम है। इस सौदे का मूल्य 60.3 करोड़ डॉलर है। चीन का मानना है कि इतनी रकम में यह हिस्सेदारी जायज नहीं है। यहां के नियामकों का मानना है कि शेयर की कीमतों में सट्टा के कारण भारतीय कंपनी का मूल्य बहुत ज्यादा है। सूत्रों ने कहा कि, ज्यादा मूल्यांकन होने से किरी की हिस्सेदारी की बिक्री पर रोक लग सकती है। सूत्रों ने कहा, जितनी रकम में 37 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी जा रही है, उतनी रकम में एक दूसरी डायस्टार को खड़ा किया जा सकता है। 

हांगकांग की सेंडा इंटरनेशनल कैपिटल डायस्टार में किरी की हिस्सेदारी खरीद सकती है। हालांकि, सेंडा को कोई भी बैंक बिना गारंटी के 60 करोड़ डॉलर का कर्ज नहीं देगा। सूत्रों ने कहा कि खरीद पर संपर्क करने वाले कई बैंक गारंटी के अभाव में किरी के शेयरों को सेंडा के अधिग्रहण के लिए तैयार नहीं थे। साथ ही कुछ बैंकिंग और कॉर्पोरेट विफलताओं के बीच प्रमुख बैंक पहले से ही सभी मौजूदा जोखिमों का मूल्यांकन कर रहे हैं। 

सूत्रों ने कहा कि इस सौदे के लिए भले ही सभी बाधाएं दूर हो जाएं, लेकिन चीनी नियामकों की जांच के आधार पर इसे मंजूरी मिलने में महीने से लेकर साल भर का समय लग सकता है। इस सौदे की खबर से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर किरी का शेयर 5 फीसदी अपर सर्किट के साथ बंद हुआ। 

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