अमेरिका के फर्स्ट रिपब्लिक बैंक को बचाने के लिए 11 बड़े बैंक तैयार 

मुंबई- अमेरिका में बैंकों के हालात और बुरे होते जा रहे हैं। एक हफ्ते में तीसरा बैंक संकट में फंस गया है। कैलिफोर्निया के फर्स्ट रिपब्लिकन बैंक को बचाने के लिए 11 बैंकों ने 30 अरब डॉलर (करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये) के राहत पैकेज की घोषणा की है। इन बैंकों में वेल्स फार्गो, मॉर्गन स्टेनली, पीएनसी फाइनेंशियल, बैंक ऑफ अमेरिका, सिटीग्रुप, जेपी मॉर्गन सहित अन्य बैंक शामिल हैं। इससे जमाकर्ताओं को पैसा निकालने में कोई दिक्कत नहीं होगी। 

जेपी मॉर्गन, बैंक ऑफ अमेरिका, सिटीग्रुप और वेल्स फार्गो 5-5 अरब डॉलर का निवेश करेंगे। गोल्डमैन सैश और मॉर्गन स्टैनली 2.5 अरब डॉलर की मदद करेंगे। रविवार को फर्स्ट बैंक ने बयान जारी कर बताया था कि उसे जेपी मॉर्गन और फेडरल रिजर्व से 70 अरब डॉलर की अतिरिक्त फंडिंग मिली है। फर्स्ट रिपब्लिक बैंक सिलिकॉन वैली की ही तरह है। शुक्रवार को इसके डूबने की खबरों के बीच जमाकर्ताओं ने कुछ ही घंटों में बैंक में से अपने 40 अरब डॉलर निकाल लिए। 31 दिसंबर तक बैंक का कुल जमा 176.4 अरब डॉलर था। 

पूंजी डालने वाले अमेरिकी बैंकों ने कहा, ये कदम फर्स्ट रिपब्लिक और सभी साइज के बैंकों में उनके भरोसे को दर्शाता है। हम अपनी वित्तीय ताकत और तरलता को तैनात कर रहे हैं, जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। वहीं अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी जेनेट येलेन, फेडरल रिजर्व बोर्ड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल और फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस के चेयरमैन मार्टिन ग्रूनबर्ग ने कहा, बैंकों का ये कदम बहुत स्वागत योग्य है। ये हमारे बैंकिंग सिस्टम के लचीलेपन को दिखाता है। 

6 मार्च के बाद से फर्स्ट रिपब्लिक के शेयरों तेज गिरावट देखने को मिल रही थी। बैंक के शेयर करीब 70% टूट चुके थे। 6 मार्च को इसका शेयर 122 डॉलर पर था जो 16 मार्च को 20 डॉलर के नीचे तक फिसल गया था। फर्स्ट रिपब्लिक के भी ग्राहक भी सिलिकॉन वैली बैंक की ही तरह हैं। इसलिए खतरे की ज्यादा आशंका है। अमेरिका का यह कदम भारत के यस बैंक की तरह है। यस बैंक को 2020 में बचाने के लिए कुल 10 बैंकों को लगाया गया था जिन्होंने 49 फीसदी हिस्सा खरीद कर इस बैंक को बचा लिया था। 

मुश्किलों में फंसे सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) में भारतीय स्टार्टअप्स के 8,254 करोड़ रुपए जमा हैं। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इसके साथ कहा, उन्होंने वित्त मंत्री को सुझाव दिया है कि भारतीय स्टार्टअप्स के लिए अब देश के लोकल बैंकों को आगे आना चाहिए और उनको ज्यादा से ज्यादा फंड देकर उनकी मदद करनी चाहिए। चंद्रशेखर ने इस हफ्ते 460 से ज्यादा कंपनियों और लोगों से मुलाकात की, जिनमें एसवीबी के डूबने से प्रभावित भारतीय स्टार्टअप्स भी शामिल थे। 

राजीव चंद्रशेखर ने बृहस्पतिवार को देर रात ट्विटर पर कहा, आने वाले महीने में अपनी सभी अनिश्चितताओं के साथ अमेरिकी बैंकिंग सिस्टम्स पर निर्भर रहने के बजाय, हम स्टार्टअप्स को भारतीय बैंकिंग सिस्टम में कैसे परिवर्तित कर सकते हैं? हमको भारतीय बैंकों पर निर्भरता बढ़ानी होगी। विदेशी बैंकिंग सिस्टम की अनिश्चितताओं के बढ़ने से सीधा असर बैंक पर निर्भर स्टार्टअप्स पर होगा। 

उन्होंने बताया कि उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सुझाव दिया है कि एसवीबी में फंड रखने वाले भारतीय स्टार्टअप्स के लिए देश के बैंकों को आगे आना चाहिए और उनको ज्यादा से ज्यादा कर्ज देकर उनकी मदद करनी चाहिए।

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