साधारण बीमा कंपनियों में सरकार को और पूंजी डालने की पड़ेगी जरूरत 

मुंबई- सरकार को सरकारी क्षेत्र की तीन सामान्य बीमा कंपनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए और पूंजी डालनी पड़ सकती है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। सरकार ने पिछले साल तीन बीमा कंपनियों – नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लि., ओरिएंटल इंश्योरेंस लि. और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस को 5,000 करोड़ रुपये की पूंजी प्रदान की थी। 

सरकारी अधिकारी ने कहा कि वित्त वर्ष 2023 में प्रदर्शन के आधार पर, वित्त मंत्रालय यह फैसला करेगा कि नियामक जरूरत को पूरा करने के लिए उन्हें कितनी पूंजी की आवश्यकता होगी। उनकी वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है और उनके सॉल्वेंसी मार्जिन को बढ़ाने के लिए फंड डाला जाएगा। 

सॉल्वेंसी मार्जिन वह अतिरिक्त पूंजी है जिसे कंपनियों को संभावित दावा राशि से अधिक रखना चाहिए। यह विषम परिस्थितियों में वित्तीय मदद के रूप में कार्य करता है, जिससे कंपनी को सभी दावों का निपटान करने में मदद मिलती है। नियामक भारतीय बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण (आईआरडीआई) के अनुसार, बीमा कंपनियों को जोखिम कम करने के लिए न्यूनतम सॉल्वेंसी अनुपात 1.50 फीसदी बनाए रखना चाहिए। 

अधिकारी ने कहा कि बजट 2023-24 में बीमा कंपनियों के लिए पूंजी डालने का प्रावधान नहीं किया गया है, लेकिन पूरक मांग के जरिए धन की मांग की जा सकती है। 2020-21 के दौरान तीन सामान्य बीमा कंपनियों में 9,950 करोड़ रुपये डाले गए थे। इनमें से 3,605 करोड़ रुपये यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस में, 3,175 करोड़ रुपये नेशनल इंश्योरेंस में और 3,170 करोड़ रुपये ओरिएंटल इंश्योरेंस में डाले गए। 

पूंजी डालने के अलावा एक बाहरी सलाहकार ने भी इन कंपनियों द्वारा किए जाने वाले कई सुधारों का सुझाव दिया है। अधिकारी ने कहा कि कुछ सुझावों को शामिल कर लिया गया है और अन्य कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। चार सरकारी सामान्य बीमा कंपनियों में से केवल न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी शेयर बाजारों में सूचीबद्ध है। 

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