एक हफ्ते पहले अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक को मिला था बेस्ट बैंक पुरस्कार
मुंबई- अमेरिका के फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (FDIC) ने सिलिकॉन वैली बैंक को बंद करने का शुक्रवार को आदेश दिया। इसके साथ ही तत्काल प्रभाव से बैंक की पूरी जमा राशि को अपने हाथों में ले लिया गया। यह 2008 की वित्तीय मंदी के बाद अब तक के सबसे बड़े बैंक फैलियर में से एक है।
इससे सिर्फ दो दिन पहले बैंक ने ऐलान किया था कि वे अपने डिपॉजिट में आ रही बड़ी गिरावट की भरपाई करने के लिए शेयरों की बिक्री कर रही है। इसके बाद बैंक के निवेशक और ग्राहक दोनों डर गए। लेकिन बैंक इस हालत तक कैसे पहुंचा।
बैंक के बर्बाद होने का कनेक्शन अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों को बढ़ाने से है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने महंगाई को काबू में करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी की थी। इसी की वजह से मौजूदा बॉन्ड्स की वैल्यू में गिरावट आई। जो कम ब्याज दर पर जारी किए गए थे. बैंक ने इन बॉन्ड्स को खरीदा था, इसलिए उसे नुकसान झेलना पड़ा। बढ़ती ब्याज दरों के चलते स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग में भी गिरावट देखने को मिली। पूरी टाइमलाइन को देख लेते हैं।
साल 2021 में सिलिकॉन वैली बैंक की डिपॉजिट 189 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच गई है। इसके कुछ समय बाद यह 198 अरब डॉलर के रिकॉर्ड पर भी आई। इसके बाद बैंक ने बॉन्ड में बड़े स्तर पर निवेश किय। इस समय कम ब्याज दर का माहौल था. सिलिकॉन वैली बैंक की बैलेंस शीट में 2022 के आखिर में 91.3 अरब डॉलर की सिक्योरिटीज मौजूद थीं।
फिर, 2022 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को बढ़ाना शुरू कर दिया, जिससे कम दर पर जारी बॉन्ड होल्डिंग्स की वैल्यू भी नीचे आ गई। बढ़ती ब्याज दरों की वजह से वेंचर कैपिटल कंपनियों ने भी स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग में कटौती कर दी। इससे कुछ समय तक फंडिंग के मामले में परेशानी आई।
फंडिंग में गिरावट आने के साथ, स्टार्टअप्स ने सिलिकॉन वैली बैंक जैसी संस्थाओं में जो पैसा जमा किया था, उसमें भी गिरावट देखने को मिली। इसकी वजह से बैंक को अपनी सिक्योरिटीज को घाटे पर बेचने को मजबूर होना पड़ा। बुधवार को, सिलिकॉन वैली बैंक ने ऐलान किया था कि उसने 21 अरब डॉलर के बॉन्ड एसेट्स को 1.8 बिलियन डॉलर के नुकसान पर बेचा है। उसने यह भी कहा था कि वह शेयर की बिक्री के जरिए 2.25 अरब डॉलर की राशि जुटा रहा है।