म्यूचुअल फंड वितरक कर रहे थे घोटाला, सेबी ने इंसेंटिव पर लगाया रोक 

मुंबई- सेबी ने म्यूचुअल फंडों को छोटे शहरों के लिए इंसेंटिव ढांचे का इस्तेमाल नहीं करने को कहा है। उसका कहना है कि यह ढांचा पारदर्शी नहीं है। इसके दुरुपयोग का खतरा है। सेबी ने म्यूचुअल फँड के जरिये वित्तीय साक्षरता बढ़ाने और निवेशकों के हित में बी-30 शहरों के निवेशकों के नए निवेश पर अतिरिक्त 30 बेसिस पाइंट के खर्च अनुपात चार्ज करने की इजाजत दी थी। बी-30 का मतलब वे शहर जो शीर्ष 30 शहरों से बाहर होते हैं।  

सेबी ने पाया है कि B-30 कमीशन स्ट्रक्चर की इजाजत छोटे शहरों में फाइनेंशियल इनक्लूजन बढ़ाने और MF डिस्ट्रिब्यूशन स्ट्रक्चर मजबूत बनाने के लिए दी गई थी। लेकिन, इसका दुरुपयोग हो रहा है। इसलिए इसे सही तरीके से लागू करने की व्यवस्था जब तक नहीं बन जाती, इसका इस्तेमाल बंद रहेगा। ऐसा पाया गया है कि कुछ वितरक निवेशकों के निवेश को एक साल बाद भुनाकर उसे दूसरी स्कीम में निवेश करते थे। इससे उनको ज्यादा कमीशन मिलता था। 

म्युचुअल फंड (MF) उद्योग ने वितरकों को अतिरिक्त रियायत ढांचे के गलत इस्तेमाल के ​खिलाफ चेतावनी दी है। इस ढांचे का गलत इस्तेमाल कर वितरकों द्वारा छोटे केंद्रों (टॉप-30 शहरों से अलग या बी-30) से परिसंप​त्तियां जुटाई गई थीं। म्युचुअल फंडों के संगठन (एम्फी) ने वितरकों को भेजे पत्र में कहा है कि म्यूचुअल फंड सौदों को विभाजित करने और निवेश के निवेश में लगातार बदलाव लाने जैसी गतिवि​धियों से उनके लाइसेंस रद्द किए जाने का खतरा बढ़ सकता है। 

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा इसे लेकर चिंता जताई गई थी और 1 मार्च से रियायती ढांचा अस्थायी तौर पर प्रतिबं​धित कर दिया गया। नियामक ने गलत जानकारी देकर योजनाएं बेचने पर रोक लगाने के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए एम्फी को 24 मार्च, 2023 तक का समय दिया है और इस संबंध में उठाए जाने वाले जरूरी कदमों की जानकारी सेबी को देने को कहा है। वितरकों द्वारा 1 मार्च से पहले कराए गए निवेश अतिरिक्त रियायत के योग्य बने रहेंगे। 

सौदों को विभाजित करना एक ऐसी प्रणाली है जिसमें एमएफ वितरक ज्यादा इंसेटिव पाने के लिए ग्राहकों से अपना पैसा (2 लाख रुपये की सीमा पार होने पर) एक बार के बजाय कई बार में निवेश करने को कहते हैं। इससे एक वर्षीय निर्धारित अव​धि समाप्त होने के बाद भी समान रा​शि पर लगातार बी-30 इंसेटिव पाने के लिए संबद्ध एमएफडी द्वारा रकम को एक योजना से दूसरी में कई बार स्थानांतरित कराया जाता है। 

एम्फी ने वितरकों को भेजी सूचना में कहा है, ‘सभी एमएफ वितरकों को यह सुनि​श्चित करने के लिए सख्त हिदायत की जाती है कि वे आवेदनों को अलग अलग सौदों में विभाजित करने, म्युचुअल फंड निवेश में बार बार बदलाव या ज्यादा ट्रांजेक्शन शुल्क से जुड़ी कोई अन्य गतिवि​धि, या ऊंचे बी-30 इंसेटिव कमीशन से परहेज करें। इस संबंध में किसी भी तरह के उल्लंघन को गंभीर समझा जाएगा, और वह अनुशासनात्मक कार्रवाई के दायरे में होगा, जिससे एआरएन (एम्फी पंजीकरण संख्या) रद्द की जा सकती है।’ 

नियामक ने बी-30 इंसेटिव के संदर्भ में फंड हाउसों में कुछ प्रणालियों में बदलाव पर भी जोर दिया है। एक ​शिकायत इंसेटिव के चयन में अंतर को लेकर भी मिली थी। नियामक ने कहा, ‘यह पता चला कि बी-30 इंसेटिव एएमसी द्वारा कुछ खास योजनाओं के लिए अपनी मर्जी के हिसाब से तय किए गए थे और ऐसी योजनाओं में बी-30 प्रवाह के बावजूद कुछ अन्य योजनाओं में इनकी पेशकश नहीं की गई थी। यह मनमानापूर्ण है और इससे प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रणालियों को बढ़ावा मिल सकता है।’ 

इस ढांचे को प्रतिबं​धित करते हुए नियामक ने कहा था कि वह दो विकल्पों पर विचार कर रहा है, या तो बी-30 इंसेटिव को फिर से सुरक्षात्मक तरीके से लाया जाए या एक ऐसी व्यवस्था शुरू की जाए जिसमें वितरकों को किसी भी स्थान से निवेशक जोड़ने पर इंसेटिव मिले। 

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