14 साल की उम्र से कारोबार, आज जमशेद जी टाटा के बल पर है टाटा ग्रुप

मुंबई- टाटा का नाम आज पूरी दुनिया में है। हवाई जहाज से लेकर आटोमोबाइल और रसोई में इस्तेमाल होने वाले नमक तक टाटा की धमक हर जगह है। टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा का आज जन्मदिन है। जमशेदजी का जन्म 3 मार्च 1839 को गुजरात के छोटे से कस्बे नवसारी में हुआ था। उनके पिता का नाम नौशेरवांजी एवं उनकी माता का नाम जीवनबाई टाटा था। पारसी पादरियों के खानदान में नौशेरवांजी पहले व्यवसायी थे।  

जमशेदजी 14 साल की नाज़ुक उम्र में ही पिताजी का साथ देने लगे। जमशेदजी ने एल्फिंस्टन कॉलेज में दाखिला लिया और अपनी पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने हीरा बाई डाबू के साथ विवाह बंधन में बंध गए। वह 1858 में स्नातक हुए और अपने पिता के व्यवसाय से पूरी तरह जुड़ गये। जमशेदजी 29 साल की उम्र तक वह पूरी मेहनत के साथ पिता का कारोबार में हाथ बंटाते रहे। लेकिन उनके सपने काफी बड़े थे। 

वर्ष 1868 में उन्होंने 21 हजार रुपयों से अपना खुद का बिजनस शुरू किया था। जमशेदजी ने सबसे पहले एक दिवालिया तेल कारखाना ख़रीदा और उसे एक रुई के कारखाने में तब्दील कर दिया। इसका नाम बाद में बदलकर एलेक्जेंडर मिल रखा। दो साल बाद उन्होंने इसे खासे मुनाफ़े के साथ बेच दिया। इस पैसे के साथ उन्होंने नागपुर में 1874 में एक रुई का कारखाना लगाया था। महारानी विक्टोरिया ने उन्हीं दिनों भारत की रानी का खिताब हासिल किया था और जमशेदजी ने भी वक़्त को समझते हुए कारखाने का नाम इम्प्रेस्स मिल रखा था। 

साल 1869 तक टाटा परिवार को छोटा व्यापारी समझा जाता था। लेकिन जमशेदजी ने इस भ्रम को भी तोड़ दिया। उन्होंने एंप्रेस मिल बनाई, जो उनकी पहली बड़ी औद्योगिक कंपनी थी। मुंबई को टेक्सटाइल नगरी कहा जाता था। अधिकांश कॉटन मिल्स मुंबई में ही थी। इसीलिए जब जमशेदजी ने कॉटन मिल के लिए नागपुर को चुना तो उनकी बड़ी आलोचना हुई थी। लेकिन नागपुर को जमशेदजी ने ऐसे ही नहीं चुना था।  

इसके पीछे तीन बड़े कारण थे। पहला कपास का उत्पादन आसपास के इलाकों में होता था। दूसरा रेलवे जंक्शन पास में था। वहीं तीसरी वजह यहां पानी और ईंधन की अच्छी उपलब्धता थी। जमशेदजी को कारोबारी जीवन की शुरुआत में एक गंभीर आर्थिक झटका लगा था। इस समय कारोबारी साझेदारी का कर्ज उतारने के लिए उन्हें अपना मकान और जमीन जायदाद बेचनी पड़ी थी। लेकिन जमशेदजी ने हिम्मत नहीं हारी और सभी संकटों से उबर गए। 

इसके बाद जमशेदजी ने 4 बड़ी परियोजनाएं लगाईं। इनमें थी एक स्‍टील कंपनी, एक वर्ल्‍ड क्‍लास होटल, एजुकेशनल इंस्‍टीट्यूट और एक जलविद्युत परियोजना। इनके पीछे जमशेदजी की भारत को एक आत्‍मनिर्भर देश बनाने की सोच थी। हालांकि उनकी जिंदगी में सिर्फ एक ही परियोजना पूरी हो सकी, होटल ताज जो एक वर्ल्ड क्लास होटल था। बाद में उनके सपने को टाटा की आने वाली पीढ़ियों ने पूरा किया। इन्‍हीं 4 परियोजनाओं के चलते टाटा ग्रुप की भारत कारोबारी हैसियत बनी।  

उनकी इन्हीं सफलताओं ने पहली बार भारत औद्योगिक तौर पर आत्‍मनिर्भर बनने का सपना भी दिया। जमशेदजी टाटा उद्योग जगत के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत रहे हैं। उन्होंने अपने सफर की शुरूआत शून्य से की थी। लेकिन ऐसे औद्योगिक घराने की स्थापना की जो न सिर्फ आठ लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहा है बल्कि उच्च नैतिक मानदंड को भी बरकरार रखा है। 

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