सात भाई बहनों के साथ चाल में एक छोटे से रूम में रहते थे अदाणी  

मुंबई- कभी एशिया के सबसे अमीर रहे उद्योगपति गौतम अदाणी दुनिया अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद विवादों में हैं। उनकी संपत्ति में लगातार गिरावट हो रही है। कभी दुनिया के दूसरे सबसे अमीर रहे अदाणी रिपोर्ट आने के एक हफ्ते बाद खिसकर 16वें नंबर पर आ गए हैं।   


विवाद के बीच अदाणी ने बुधवार रात अपने 20 हजार करोड़ रुपये के अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) को वापस लेने और निवेशकों का पैसा लौटाने की घोषणा की। हालांकि, कंपनी के एफपीओ को मंगलवार को पूर्ण अभिदान (पूर्ण सब्सक्रिप्शन) मिल गया था। अदाणी के साथ उनके भाई विनोद अदाणी पर भी कई तरह के आरोप लग रहे हैं। कभी सात भाई-बहनों और माता-पिता के साथ एक छोटे से चॉल में रहते थे। आज उन्हीं अदाणी के बच्चे प्राइवेट जेट में घूमते हैं।  

फोर्ब्स के रियल-टाइम आंकड़ों के अनुसार, 67.4 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ 16वें नंबर पर हैं। शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बीच अदाणी समूह की नेटवर्थ 2023 में लगातार घटी है। गौतम अदाणी ने जुलाई 2022 में माइक्रोसॉफ्ट के प्रमुख बिल गेट्स को पछाड़ दिया था। पिछले साल फरवरी में गौतम अदाणी ने रिलायंस समूह के प्रमुख मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ दिया था। अदाणी इसके साथ ही भारत के व एशिया के सबसे रईस बन गए थे।  

अप्रैल 2022 में अदाणी की नेटवर्थ पहली बार 100 अरब डॉलर के पार पहुंच गई थी। लेकिन विवादों के बीच मुकेश अंबानी, अदाणी से एक बार फिर आगे चले गए हैं। अंबानी मौजूदा समय में दुनिया के 10वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं।  

गुजरात के अहमदाबाद में एक सामान्य परिवार में गौतम अदाणी का जन्म 24 जून 1962 को हुआ था। गौतम ने शुरुआती शिक्षा अहमदाबाद स्थित सेठ चिमनलाल नगीनदास विद्यालय से ली। इसके बाद गुजरात विश्वविद्यालय से कॉमर्स की पढ़ाई शुरू की। हालांकि, दूसरे साल ही उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी। 

गौतम के पिता शांतिलाल और मां का नाम शांता बेन था। उनके पिता कपड़ों का छोटा-मोटा व्यापार करते थे। कहा जाता है कि तब गौतम अपने माता-पिता और भाइयों के साथ एक छोटे से चॉल (भीड़-भाड़ वाले शहरों में जगह की कमी के कारण बने छोटे मकान) में रहा करते थे। पहले शांतिलाल उत्तरी गुजरात के थरद शहर में रहते थे। परिवार बढ़ने पर परिवार संग वह पलायन कर गए।  

गौतम के सात भाई बहन हैं। सबसे बड़े भाई का नाम मनसुखभाई अदाणी है। अन्य भाइयों में विनोद अदाणी, राजेश शांतिलाल अदाणी, महासुख अदाणी और वसंत एस अदाणी शामिल हैं।  

विनोद अदाणी, गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं। वह दुबई में रहते हैं और दुबई, सिंगापुर और जकार्ता में कई कंपनियों का प्रबंधन करते हैं। विनोद शांतिलाल अडानी सबसे अमीर एनआरआई बनकर उभरे हैं। हिंडनबर्ग की हालिया रिपोर्ट में विनोद अदाणी का नाम भी शामिल है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि विनोद ऑफशोर शेल कंपनियों के एक विशाल चक्रव्यूह का मैनेजमेंट करते हैं। इन्हीं कंपनियों के जरिए उन पर फर्जीवाड़े का आरोप लगाया गया है।  

गौतम का पिता के कारोबार में मन नहीं लगा लिहाजा पढ़ाई छोड़कर 17 साल की उम्र में मुंबई आ गए। यहां उन्होंने हीरा व्यापारी महिंद्रा ब्रदर्स के यहां दो साल तक काम किया। 20 साल की उम्र में मुंबई में खुद का डायमंड ब्रोकरेज का कारोबार शुरू किया और पहले ही साल लाखों की कमाई हुई।  

गौतम के बड़े भाई मनसुखभाई अदाणी ने साल 1981 में अहमदाबाद में एक प्लास्टिक कंपनी खरीदी। गौतम को भी बुला लिया। पॉलीविनाइल क्लोराइड (पीवीसी) आयात के जरिए अदाणी ने वैश्विक व्यापार में कदम रख दिया। 
बिजनेस का पर्याप्त अनुभव लेने के बाद 1998 में उन्होंने अदाणी एक्सपोर्ट्स लिमिटेड की नींव रखी। ये कंपनी पावर और एग्रीकल्चर कमोडिटीज के क्षेत्र में काम करती है। 1991 तक कंपनी अपने पैर जमा चुकी थी और उन्हें भारी मुनाफा भी होने लगा था। 


शुरुआती दिनों में गौतम स्कूटर से चलते थे। इसके बाद गौतम ने मारुति-800 से सफर शुरू किया, अब लग्जरी गाड़ियों से चलते हैं। गौतम के पास कई हेलिकॉप्टर और प्राइवेट चार्टर्ड प्लेन हैं। गौतम ने प्रीति अदाणी से शादी की है। प्रीति पेशे से डेंटिस्ट हैं और अदाणी फाउंडेशन की अध्यक्ष भी हैं। इसके जरिए वह समाजिक कार्य करती हैं। गौतम और प्रीति अदाणी के दो बेटे हैं। बड़े बेटे का नाम करण अदाणी और छोटे बेटे का नाम जीत अदाणी है।

करण अदाणी ने अमेरिका की पर्डूय् यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है। वे अदाणी पोर्ट्स के सीईओ के तौर पर कंपनी में काम कर रहे हैं। इसके अलावा भी कई कंपनियों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। साल 2013 में करण की शादी भारत में कॉरपोरेट लॉ के दिग्गज वकीलों में से एक सिरिल श्रॉफ की बेटी परिधि श्रॉफ से हुई थी।

करण की ही तरह उनके छोटे भाई जीत अदाणी ने भी विदेश से पढ़ाई की है। यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया से ग्रेजुएट करने के बाद जीत साल 2019 में भारत लौट कर आए और कंपनी की जिम्मेदारी संभालने लगे।  

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