22 म्यूचुअल फंड हाउसों के पास एक पर्सेंट भी बाजार हिस्सेदारी नहीं
मुंबई- म्यूचुअल फंड उद्योग भले ही तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन कुल 42 में से 22 कंपनियां ऐसी हैं, जिनके पास एक-एक फीसदी भी हिस्सेदारी नहीं है। हालांकि, शीर्ष पांच फंड हाउसों के पास 45 फीसदी बाजार हिस्सा है। असेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) यानी निवेशकों की कुल रकम पिछले पांच वर्षों में 80 फीसदी बढ़कर 40.26 लाख करोड़ रुपये हो गई है। दिसंबर, 2017 में यह 22.37 लाख करोड़ रुपये थी।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एंफी) के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर, 2017 में कुल 40 फंड हाउस थे जो अब 42 हो गए हैं। इसमें से 4 फंड हाउसों के पास एक हजार करोड़ से भी कम एयूएम है जबकि 10 फंड हाउस ऐसे हैं जो पांच हजार करोड़ से कम एयूएम वाले हैं। पिछले पांच साल में इंडिया बुल्स, टॉरस, जे एम फाइनेंशियल, बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई, एलआईसी, पीजीआईएम और फ्रैंकलिन टेंपल्टन म्यूचुअल फंड के एयूएम में गिरावट आई है।
महिंद्रा मनुलाइफ के एयूएम में इस दौरान 229 फीसदी की वृद्धि जबकि मिरै असेट में 755 फीसदी, एडलवाइस में 832 फीसदी, केनरा रोबैको में 394 फीसदी, यूनियन म्यूचुअल फंड में 149 फीसदी और आईआईएफएल के एयूएम में 540 फीसदी की वृद्धि देखी गई। सात ऐसे फंड हाउस हैं जिनके पास शून्य बाजार हिस्सेदारी है। 21 फंड हाउस ऐसे हैं जिनकी इन पांच साल में रैंकिंग भी घट गई है। सबसे ज्यादा घाटा इंडिया बुल्स को हुआ है जो 15 नंबर गिरकर 23 से 38 पर आ गया है। जेएम फाइनेंशियल 13 स्थान गिरकर 19 से 32 पर जबकि फ्रैंकलिन टेंपल्टन 7 स्थान गिरकर 8 से 15 पर आ गया है। सबसे ज्यादा फायदा एडलवाइस को हुआ है जो 12 स्थान छलांग लगाकर 25 से 13 पर और मिरै असेट 21 से उछलकर 11 पर आ गया है।
फंड हाउस | एयूएम (2017) | एयूएम (2022) | बढ़त (फीसदी) |
एसबीआई एमएफ | 2.05 | 7.12 | 247 |
आईसीआईसीआई प्रू फंड | 2.93 | 4.88 | 66 |
एचडीएफसी एमएफ | 2.89 | 4.44 | 54 |
कोटक महिंद्रा | 1.19 | 2.86 | 139 |
निप्पॉन म्यूचुअल फँड | 2.43 | 2.92 | 20 |
(आंकड़े लाख करोड़ रुपये में)