बिना ओसी के ही सुपरटेक ने मालिकों को दे दिए 9,705 फ्लैट के पजेशन
मुंबई- कर्ज में दबी रियल्टी कंपनी सुपरटेक ने संबंधित विकास प्राधिकरणों से बिना ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) हासिल किए बगैर ही 18 आवासीय परियोजनाओं में 9,705 फ्लैट घर मालिकों को सौंप दिए। अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) हितेश गोयल ने कंपनी के बारे में स्टेटस रिपोर्ट राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) को सौंपी है। इसी में यह खुलासा हुआ है।
घर खरीदारों के एक संगठन ने कहा कि ओसी का न होना फ्लैट मालिक के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। नोएडा एक्सटेंशन फ्लैट ओनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने दावा किया कि नोएडा में ऐसे फ्लैटों की संख्या 50,000 से 1 लाख के बीच हो सकती है।
सुपरटेक ने एनसीएलटी के इस साल 25 मार्च के आदेश को अपीलीय न्यायाधिकरण में चुनौती दी है। एनसीएलटी ने कंपनी के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू की थी। यह मामला अभी एनसीएलएटी के सामने लंबित है। यह स्टेटस रिपोर्ट उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड में 18 आवासीय परियोजनाओं से संबंधित है। इसे एनसीएलएटी को 31 मई को सौंपा गया था। डेवलपर पर उत्तर प्रदेश में दो विकास प्राधिकरणों – ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के संबंध में 2,062 करोड़ रुपये का बकाया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 148 टावर/भूखंड/विला में करीब 10,000 आवास ऐसे हैं जिनमें कब्जे की पेशकश ओसी मिले बगैर ही की गई। इन परियोजनाओं में ग्रेटर नोएडा में इको-विलेज-1 में ओसी के बिना सबसे ज्यादा 3,171 कब्जे दिए गए। गोयल ने कहा कि प्रबंधन ने यह स्पष्ट किया है कि केवल उन्हीं टावर में कब्जा देने की पेशकश की गई जिनके लिए ओसी का आवेदन दिया है और जिनके लिए संबंधित अधिकारियों से वैध अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) मिल चुके हैं।
प्रबंधन ने यह भी कहा कि वैसे तो ये टावर सौंपने के लिहाज से तैयार हैं लेकिन सुपरटेक के बकाया का भुगतान नहीं हो सका है इसलिए इनके ओसी अधिकारियों के पास ही हैं। उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) के कानूनी सलाहकार वेंकट राव ने कहा कि बिल्डर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में विकास प्राधिकरणों से जमीन पट्टे पर ले लेते हैं। वहां परियोजना का निर्माण करते हैं लेकिन पट्टे की राशि का भुगतान नहीं करते। ऐसे में जब तक बकाया का भुगतान नहीं हो जाता, विकास प्राधिकरण उन्हें ओसी नहीं देते।
अगस्त में, नोएडा में सुपरटेक बिल्डर के दो 31 मंजिला टावर एपेक्स और सियाने को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ध्वस्त कर दिया गया था। सुपरटेक ही नहीं, दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में कई अन्य रीयलटर्स ने विभिन्न कारणों से ओसी के बिना फ्लैटों का कब्जा देने की पेशकश की है। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, संबंधित बिल्डिंग प्लान का पालन करने के अलावा, डेवलपर्स को अग्नि सुरक्षा और लिफ्ट सुरक्षा के संबंध में अन्य सक्षम अधिकारियों से अनुपालन एनओसी लेनी होती है। अगर अनुपालन नहीं होता है, तो ओसी को रोक दिया जाता है क्योंकि संरचना की सुरक्षा और अपर्याप्त सुविधाओं के बारे में भी चिंता होगी, उन्होंने कहा।
अगर किसी इमारत की ओसी नहीं है तो फ्लैट मालिक को उस पर बैंक से कर्ज नहीं मिलता है। साथ ही ऐसे फ्लैटों की कीमतें ओसी वाले फ्लैट की तुलना में 25 प्रतिशत कम होती हैं। साथ ही ओसी वाले फ्लैट पर मालिक का कानूनी कब्जा होता है, जो बिना ओसी पर नहीं होता है।