1,500 करोड़ के जीएसटी विवाद में टाटा ने सरकार को बॉम्बे हाईकोर्ट में घसीटा
नई दिल्ली। टाटा समूह ने 1,500 करोड़ रुपये के जीएसटी के दावे के खिलाफ डीजीजीआई के साथ-साथ वित्त मंत्रालय और भारत सरकार पर बॉम्बे हाईकोर्ट में मुकदमा दायर किया है। यह मामला साल 2017 में एनटीटी डोकोमो के विवाद निपटान से संबंधित है। जीएसटी का यह दावा डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीआई) ने किया है जो कि जापानी टेलीकम्यूनिकेशन कंपनी को 1 खरब रुपये के विवाद निपटारे से संबंधित है।
टाटा संस ने किए गए भुगतानों पर जीएसटी देनदारियों के दावे को चुनौती दी है। इससे पहले टाटा संस ने इस मामले में सरकार के हस्तक्षेप की मांग की थी। हालांकि, अधिकारियों ने कहा है कि डीजीजीआई मामले को आगे बढ़ाने को तैयार है। सूत्रों ने कहा कि अक्तूबर में, डीजीजीआई ने टैक्स की सूचना जारी की थी, जिसे डीआरसी-01ए फॉर्म के माध्यम से देय के रूप में निर्धारित किया गया था। नवंबर में अनुच्छेद 226 के तहत बॉम्बे हाईकोर्ट में रिट दायर की गई थी और 9 जनवरी को सुनवाई होनी है। टाटा समूह ने विभाग से कहा था कि भुगतान लंदन की एक कोर्ट के आदेश मध्यस्थता की कार्यवाही के माध्यम से किया गया था और इसलिए जीएसटी लागू नहीं था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह राशि टाटा संस द्वारा टाटा टेलीसर्विसेज की ओर से चुकाई गई बकाया राशि थी, न कि डोकोमो द्वारा प्रदान की गई किसी भी सेवा के लिए थी। यह एक मध्यस्थता का मामला है। डीजीजीआई का मानना है कि अगर टाटा समूह को इस मामले में छूट दी गई तो अन्य कंपनियों भी प्रदान की गई सेवाओं पर लगाए गए जीएसटी का भुगतान करने से बचने के लिए ऐसा ही रास्ता अपना सकती हैं।
एनटीटी डोकोमो ने साल 2009 में टाटा टेलीसर्विसेज में 26.5 फीसदी की हिस्सेदारी हासिल की थी। उस समय दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि जापानी कंपनी एक पूर्व निर्धारित न्यूनतम कीमत पर वेंचर से निकल सकती है। यह न्यूनतम कीमत हिस्सेदारी हासिल करते समय किए गए पेमेंट की कम से कम आधी होगी। टाटा टेलीसर्विसेज की आर्थिक स्थिति को देखते हुए जापानी को वेंचर से निकलना पड़ा था।