आईसीआईसीआई लोंबार्ड से ले रहे हैं बीमा तो हो जाइए सावधान
मुंबई- चाहे जीवन बीमा हो या फिर स्वास्थ्य बीमा या फिर आपके वाहन, घरों या जूलरी का बीमा हो। यह एक ऐसा उपाय है, जिससे आपातकाल में आप एक बहुत बड़े कर्ज से या फिर बचत को गंवाने से बच सकते हैं। आप बीमा ले रहे हैं तो पहले इसके बारे में जांच-पड़ताल जरूर करें। ऐसा इसलिए क्योंकि, 2021-22 में बीमा लोकपालों ने ग्राहकों की कुल 40,527 शिकायतों का समाधान किया। उसके पहले 2020-21 में 30,596 शिकायतें सुलझाई गई थीं। जाहिर तौर पर, किसी भी उत्पाद या कंपनी के खिलाफ शिकायतें तभी मिलती हैं, जब उनमें खामियां हों या ग्राहक उनसे संतुष्ट नहीं हो। इससे पता चलता है कि शिकायतों की संख्या और ज्यादा होगी।
आंकड़े बताते हैं कि 2021-22 में 81 फीसदी शिकायतें निजी बीमा कंपनियों के खिलाफ थीं। बाकी एलआईसी और अन्य सरकारी जनरल बीमा कंपनियों के खिलाफ थीं। मुंबई लोकपाल के अनुसार, 2021-22 में पॉलिसीधारकों की स्वास्थ्य बीमा शिकायतों में लगभग 34 फीसदी की वृद्धि हुई है। मुंबई केंद्र ने 2019-20 में 2,298 और 2020-21 में 2,448 स्वास्थ्य बीमा शिकायतों को हैंडल किया था।
2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, यह आंकड़ा बढ़कर 3,276 हो गया। 2021-22 में मुंबई को मिली 4,890 शिकायतों में से 67 फीसदी (3,276) शिकायतें स्वास्थ्य बीमा से संबंधित थीं। शिकायतों का सबसे बड़ा कारण पहले से मौजूद बीमारियों के आधार पर दावा खारिज करना था। उदाहरण के लिए, अधिकांश हेल्थ पॉलिसी पहले पॉलिसी वर्ष में मोतियाबिंद या हर्निया के इलाज पर किए गए खर्चों को कवर नहीं करती हैं।
स्वास्थ्य बीमा लेते समय इसका ध्यान जरूर रखें कि जिन कंपनियों का कैशलेस ज्यादा अस्पताल में हो, उन्हीं का लें। आप ऐसा नही करते हैं तो आपातकाल में पैसे जुटाना मुश्किल हो सकता है। उदाहरण के तौर पर मुंबई के धर्मेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि तीन साल पहले आईसीआईसीआई लोंबार्ड से उन्होंने 5 लाख बेस और 10 लाख टॉपअप वाली पॉलिसी में तीन जनों (खुद, पत्नी और मेरी बेटी) का बीमा लिया। इसका सालाना प्रीमियन 32 हजार रुपए है। धर्मेंद्र बताते हैं कि नवीनीकरण के समय उनसे 40 हजार इसलिए मांगा गया क्योंकि उनकी उम्र एक साल बढ़ गई। एक सप्ताह बाद फिर 9,500 रुपये और मांगा गया। लेकिन जब सवाल जबाव किया गया तो यह 9,500 रुपये नहीं लिए गए।
वे बताते हैं कि 15 दिनों पहले मुझे अपनी पत्नी का इलाज करवाने के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। अस्पताल में आईसीआईसीआई लोंबार्ड का कैशलेस नहीं लिया गया। जिससे उनको इलाज के लिए दूसरे से कर्ज लेना पड़ा। बाद में उन्होंने इसके रीइंबर्समेंट के लिए आवेदन किया, पर पांच दिन बाद भी इसका कोई हल नहीं निकला। वे कहते हैं कि ऐसी कंपनियों का बीमा तो किसी को नहीं लेना चाहिए। ऐसी कंपनियां जो ग्राहकों का सुनती ही नहीं हैं और चक्कर पर चक्कर लगवाती रहें, उनके एजेंटों और प्लान से सावधान रहना चाहिए।
धर्मेंद्र कहते हैं कि उनके जीवन में किसी बीमा कंपनी का ऐसा पहला अनुभव है। इसके पहले भी उनके पास दूसरी बीमा कंपनी के प्रोडक्ट थे, लेकिन ऐसा अनुभव नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि उनके एक दोस्त ने आईसीआईसीआई लोंबार्ड की प्लान लेने की सलाह दी जिसे उन्होंने मान लिया। लेकिन अब वे इसे लेकर बुरे फंस गए हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी के आफिस और उसके कर्मचारी कुछ सुनते ही नहीं हैं।
आपके दावों को खारिज करने वाली बीमा कंपनी ही अंतिम निर्णायक संस्थान नहीं है। आप अपनी शिकायत बीमा लोकपाल कार्यालयों में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। हालांकि, आपको पहले बीमा कंपनी को शिकायत करना चाहिए। मामले को आगे बढ़ाने से पहले 30 दिनों तक प्रतीक्षा करनी चाहिए। 30 दिनों तक आपकी शिकायत का जवाब नहीं मिला, तो आप लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं। लोकपाल को शिकायत मिलने से 90 दिनों के भीतर उसका निपटान करना होता है।