बैंकरों की राय- 5 लाख तक की एफडी हो टैक्स फ्री, वित्तमंत्री को दी है सलाह 

मुंबई- कर्ज की तेजी से बढ़ रही मांग को पूरा करने के लिए बैंकरों ने कहा है कि 5 लाख रुपये तक की एफडी टैक्स फ्री हो। अभी एफडी के ब्याज पर टैक्स लगता है। इससे इस पर मिलने वाला रिटर्न शुद्ध रूप से कम हो जाता है। बजट से पहले वित्तमंत्री को दी सलाह में बैंकों ने कहा कि टैक्स छूट मिलने से बैंकों में पैसा रखने के लिए लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी।  

पिछले कुछ समय से लोग बैंकों के एफडी के बजाय दूसरे साधनों जैसे म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार के साथ ईपीएफ और अन्य में निवेश कर रहे हैं। इन साधनों में ज्यादा ब्याज मिल रहा है। साथ ही इस समय कर्ज की वृद्धि दर 17 फीसदी जबकि डिपॉजिट की वृद्धि दर 9 फीसदी है। ऐसे में इस भारी-भरकम अंतर को पाटने के लिए बैंकों को पैसों की जरूरत है। उनको सस्ते में एफडी मिल जाता है, जिस पर इस समय 5 से 8 फीसदी तक का ब्याज वो दे रहे हैं। 

विश्लेषकों का अनुमान है कि अगर कर्ज और डिपॉजिट की वृद्धि दर की रफ्तार यही रही तो बैंकों के लिए आगे मुश्किल हो सकती है। खुद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल में बैंकों के साथ बैठक कर इस जोखिम की समीक्षा की थी और उन्हें डिपॉजिट पर ब्याज बढ़ाने की सलाह दी थी। इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) ने इस मांग के बारे में वित्त मंत्री को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि बैंकों के एफडी पर मिलने वाला ब्याज अब दूसरे साधनों की तुलना में आकर्षक नहीं रहा है। 

आयकर की धारा 1961 के मुताबिक, एफडी से मिलने वाले सालाना ब्याज अगर 40 हजार रुपये से ज्यादा है तो इस पर टैक्स लगता है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 50 हजार रुपये तक है। बैंकों की दलील है कि अगर वित्त मंत्री उनकी राय मान लेती हैं तो इससे उन्हें फायदा होगा। साथ ही बैंकों में निवेश के लिए निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ेगी। 

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