उद्धव ठाकरे ने सरकार से कहा, अमेजन पार्सल वाले राज्यपाल को वापस बुलाएं

मुंबई- शिवसेना (उद्धव बाला साहेब ठाकरे) नेता उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार राज्यपाल के रूप में भेजा ‘अमेजन पार्सल’ वापस बुला ले। हम यहां महाराष्ट्र में यह पार्सल नहीं चाहते हैं। केंद्र सरकार इस नमूने को दूसरी जगह भेजे या वृद्धाश्रम भेज दे। 

ठाकरे छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर दिए गए महाराष्ट्र के राज्यपाल बीएस कोश्यारी के बयान पर टिप्पणी कर रहे थे। उन्होंने राज्य के राजनीतिक दलों से उनके खिलाफ एकजुट होने की अपील की। उद्धव ने कहा कि सभी महाराष्ट्र प्रेमी उनके बयान का विरोध करें। अगर भाजपा सदस्य चाहें तो वे भी शामिल हो सकते हैं।  

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर अगले 5 दिनों में उनकी मांग पर कोई फैसला नहीं लिया गया तो उनकी पार्टी राज्यव्यापी बंद की योजना बनाएगी। दंगा-फसाद नहीं, शांतिपूर्ण मार्ग से महाराष्ट्र बंद करेंगे। ठाकरे ने कहा कि कोश्यारी ने इससे पहले मुंबई और ठाणे में रहने वाले मराठी लोगों के बारे में टिप्पणी की थी। वहीं समाज सुधारक ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के खिलाफ भी अपमानजनक टिप्पणी की थी। 

उद्धव ने कहा- छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान किया जा रहा है और सरकार खामोश बैठी है। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि CM कौन है, लेकिन जो शख्स दिल्ली के सहारे सत्ता में है, वो राज्यपाल के खिलाफ क्या कहेगा। ठाकरे ने कहा- क्या इसका मतलब यह है कि कोश्यारी इन महान लोगों के बारे में केंद्र सरकार की भावनाओं को बता रहे हैं? क्या राज्यपाल का पद वृद्धाश्रम जैसा हो गया है? 

महाराष्ट्र का आए दिन अपमान हो रहा है। महाराष्ट्र की अस्मिता से खिलवाड़ हो रहा है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री 40 गांव पर दावा ठोंकते हैं। लगता है उनको कोई प्रेत आत्मा का सपना आता है। उनको क्या लगता है महाराष्ट्र में कोई बोलने वाला नहीं है, अब बहुत हुआ। 

ठाकरे के बयान के कुछ देर पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने कोश्यारी की टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की। पवार ने कहा कि राज्यपाल ने सारी हदें पार कर दी हैं। पवार ने कहा कि इस मामले में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को दखल देना चाहिए। बड़े पद उन लोगों को देना गलत है जो गैर जिम्मेदाराना बयान देते हैं। वहीं भाजपा सांसद उदयनराजे भोसले ने भी छत्रपति शिवाजी महाराज पर दिए बयान के लिए कोश्यारी और पार्टी नेता सुधांशु त्रिवेदी की आलोचना की है। 

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