सेबी का नया आदेश- अब म्यूचुअल फंड के कर्मचारी भेदिया कारोबार के दायरे में
मुंबई- शेयर बाजारों में भेदिया कारोबार की तरह ही अब म्यूचुअल फंड को भी इसके दायरे में ला दिया गया है। सेबी ने शुक्रवार को इस बारे में नियमों में संशोधन किया। इसने कहा कि जिस तरह से सूचीबद्ध कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों पर शेयरों की खरीद-फरोख्त का नियम लागू होता है, उसी तरह से म्यूचुअल फंड के शीर्ष अधिकारी भी अब फंड की यूनिट खरीदने और बेचने पर नियम के दायरे में आएंगे।
सेबी का ताजा फैसला फ्रैंकलिन टेम्पलटन प्रकरण के बाद आया है। इस फंड हाउस के कुछ अधिकारियों पर आरोप था कि छह ऋण योजनाओं को बंद करने के से पहले उन्होंने अपने पैसे निकाल लिए थे। यह नियम 24 नवंबर से लागू हो गया है।
संशोधित नियम के मुताबिक, मूल्य की संवेदनशील जानकारी होने पर म्यूचुअल फंड की किसी स्कीम की यूनिट्स में कर्मचारी खरीद-फरोख्त नहीं कर पाएंगे। नए नियमों के तहत, एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसी) को अपनी स्कीम की यूनिट्स में एएमसी, ट्रस्टियों और उनके करीबी रिश्तेदारों द्वारा स्टॉक एक्सचेंजों के प्लेटफॉर्म पर होल्डिंग के विवरण का खुलासा करना होगा। साथ ही सभी लेन-देन का विवरण एएमसी के अनुपालन अधिकारी को दो कारोबारी दिनों के भीतर देना होगा।
भेदिया कारोबार को रोकने के लिए आंतरिक नियंत्रणों में मूल्य संवेदनशील जानकारियों तक पहुंच रखने वाले सभी कर्मचारियों को नामित व्यक्तियों के रूप में पहचाना जाएगा। सभी को इसकी गोपनीयता बनाकर रखना होगा।