सत्यम घोटाला सीए की विफलता की वजह से हुआ था- दीपक पारेख 

मुंबई- एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने बुधवार को कहा कि सत्यम घोटाला वास्तव में चार्टर्ड अकाउंटेन्ट की विफलता थी जो बही-खाते में हो रही गड़बड़ी को पकड़ने में नाकाम रहे। उद्योग मंडल सीआईआई (भारतीय उद्योग परिसंघ) के पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में भाग लेते हुए पारेख ने कहा कि सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के सभी स्वतंत्र निदेशक कंपनी के संस्थापक बी रामलिंग राजू के रबड़ स्टाम्प के रूप में काम कर रहे थे। 

उन्होंने कहा, सत्यम घोटाला वास्तव में कंपनी के खातों को देखने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट की विफलता थी। सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के संस्थापक राजू के बही-खाते में हेरफेर करने और कई साल तक लाभ को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने की बात स्वीकार करने के साथ 7,800 करोड़ रुपये का घोटाला जनवरी, 2009 में सामने आया था। 

बाद में टेक महिंद्रा ने अप्रैल, 2009 में कंपनी का अधिग्रहण कर लिया था। पारेख ने कहा कि किसी भी संगठन के सीईओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) को यह समझना चाहिए कि वे कंपनी के शेयरधारकों के लिये काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कंपनियों के डूबने की संख्या बढ़ी है और कुछ लोगों के लालच के कारण लोगों ने पैसा और भरोसा खोया है। 

उल्लेखनीय है कि सत्यम घोटाला मामले में भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) ने खाता ऑडिट में धोखाधड़ी को लेकर छह चार्टर्ड अकाउंटेंट की सदस्यता रद्द कर दी थी। इसी कार्यक्रम में पूर्ववर्ती योजना के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने कहा कि उस समय सरकार ने सत्यम कंप्यूटर के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सरकार ने अपनी भूमिका सीमित रखते हुए निदेशक मंडल को भंग किया और निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को नियुक्त कर कंपनी को नया रूप दिया। पारेख ने सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज को पटरी पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

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