बैंकों की धोखाधड़ी में आरबीआई अधिकारियों की भी है मिलीभगत, जानिए कैसे
मुंबई- सर्वोच्च न्यायालय ने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जवाब देने के लिए सीबीआई को और चार हफ्ते का वक्त दिया है। यह मामला विभिन्न बैंकों में हुई धोखाधड़ी में भारती रिजर्व बैंक के अधिकारियों की संलिप्तता से जुड़ा है। इस मामले में आरबीआई से भी जवाब मांगा गया है।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा है कि वह छह हफ्ते बाद इस मामले में फिर सुनवाई करेगी। इस मामले में कोर्ट ने बीते 17 अक्तूबर को सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी किया था।
उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो और भारतीय रिजर्व बैंक को जवाब दाखिल करने के लिए शुक्रवार को चार सप्ताह का और समय दिया है। कोर्ट ने यह निर्देश विभिन्न बैंकिंग घोटालों में केंद्रीय बैंक के अधिकारियों की कथित भूमिका की जांच की मांग करने वाली भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए दी है।
जस्टिस बी आर गवई और विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई छह सप्ताह बाद करेगी। शीर्ष अदालत ने 17 अक्टूबर को सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी किया था। सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया है कि किंगफिशर, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यस बैंक जैसी विभिन्न संस्थाओं से जुड़े घोटालों में आरबीआई अधिकारियों की संलिप्तता की जांच नहीं की गई है।
उन्होंने तर्क दिया कि विभिन्न परियोजनाओं के लिए धन के आवंटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावजूद वर्ष 2000 से आज तक सीबीआई की ओर से आरबीआई के नामित अधिकारियों को जांच के दायरे में नहीं लाया गया है। याचिका में कहा गया है, ‘आरबीआई के अधिकारियों के पास भारत में सभी बैंकिंग कंपनियों के कामकाज की निगरानी, विनियमन, पर्यवेक्षण, ऑडिट और निर्देश देने की शक्ति होने के बावजूद उन्हें हमेशा जांच से बाहर रखा गया है।’