नियमों का उल्लंघन- कंपनियों को नहीं मिलेगा फेम योजना का लाभ 

मुंबई- यदि कंपनियां चल रही जांच के दौरान फ्लैगशिप फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) योजना के तहत स्थानीयकरण मानदंडों का उल्लंघन करती पाई जाती हैं, तो उन्हें दंडित किया जा सकता है। साथ ही इस योजना में भाग लेने से रोका भी जा सकता है। इतना ही नहीं, दी जाने वाली सब्सिडी को सरकार वापस ले सकती है।  

एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा फेम-2 दिशानिर्देशों के उल्लंघन पर हीरो इलेक्ट्रिक और ओकिनावा को नोटिस भेजा है। अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर कंपनियां कथित रूप से अधिकतर या सभी कलपुर्जे आयात कर दोपहिया ईवी स्थानीय स्तर पर बना रही हैं। लेकिन वे योजना के तहत फायदा ले रही हैं। ऐसी कंपनियां रडार पर हैं। 

अधिकारी ने कहा कि यह कदम फेम-द्वितीय योजना के स्थानीयकरण मानदंडों का उल्लंघन करता है। इसके तहत कम से कम 50% स्थानीय सोर्सिंग अनिवार्य है। हमारी नीति है कि उपकरण भारत में निर्मित होने चाहिए। हम ‘मेक इन इंडिया’ की अवधारणा के अनुरूप आगे बढ़ रहे हैं। हमारे संज्ञान में आया कि कुछ कंपनियां फेम के तहत भारत में उत्पादों का आयात और बिक्री कर रही थीं। उन मुद्दों की जांच ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) कर रहा है और सब्सिडी निलंबित कर दी गई है। 

अधिकारी ने कहा, अगर कोई कंपनी दोषी पाई जाती है, या टालमटोल होता है तो हम नियमों के अनुसार सख्ती से काम करेंगे। हम हर जरूरी कदम उठाएंगे। अगर वे दोषी पाए जाते हैं तो हम सब्सिडी वाली राशि की वसूली करेंगे। साथ हीउन्हें फेम-द्वितीय और अन्य सरकारी योजनाओं से ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है। अब तक, केंद्र ने हीरो इलेक्ट्रिक और ओकिनावा ऑटोटेक की सब्सिडी निलंबित कर दी है। आगे उच्च स्तरीय समिति द्वारा अपनी जांच पूरी करने के बाद मामले पर कार्रवाई की जाएगी। 

सरकार ने ईवी दोपहिया खरीदने वाले ग्राहकों का समर्थन करने के लिए फेम योजना शुरू की थी, क्योंकि वाहनों की कीमतें पारंपरिक वाहनों की तुलना में अधिक हैं। फेम-द्वितीय योजना का दूसरा चरण, अप्रैल 2019 में शुरू हुआ। ग्राहकों द्वारा ईवी की खरीद पर वाहन की लागत के 40% तक की अग्रिम नकद छूट प्रदान करता है। दी जाने वाली सब्सिडी ₹15,000 प्रति किलोवाट घंटा है। 

ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (ओईएम) को हर महीने बिल जमा कर सरकार से ग्राहकों को दी जाने वाली इस छूट का दावा करना पड़ता है। स्थानीयकरण मानदंडों का पालन न करने की शिकायतों के बाद सरकार ने एक सतर्कता तंत्र भी स्थापित किया। 

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