बैंक जमा के मुकाबले डाकघर की छोटी बचत योजनाएं के प्रति रुझान कम 

मुंबई- बैंक डिपॉजिट के मुकाबले पोस्ट ऑफिस की छोटी बचत योजनाओं के प्रति लोगों का रुझान कम हो रहा है। क्योंकि इसमें लगातार ब्याज दरें घटती जा रही हैं। हालांकि, बीते पांच साल में स्मॉल सेविंग्स डिपॉजिट दोगुना हो गया, जबकि बैंक डिपॉजिट डेढ़ गुना ही बढ़े। ज्यादा ब्याज दरें इसकी सबसे बड़ी वजह रही। 

बैंक ऑफ बड़ौदा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2016-17 में छोटी बचत जमा राशि और बैंक डिपॉजिट का अनुपात 4.4% था, जो 2021-22 में बढ़कर 5.8% हो गया। इस बीच कभी भी कुल डिपॉजिट में छोटी बचत योजनाओं की हिस्सेदारी नहीं घटी। यह स्थिति तब है, जब डिपॉजिट बढ़ाने के लिए बैंक अभियान चला रहे हैं। 

फरवरी 2022 तक बैंकों में कुल डिपॉजिट 170.2 लाख करोड़ का था। इसके मुकाबले स्मॉल सेविंग्स डिपॉजिट सिर्फ 9.9 लाख करोड़ था। बीते पांच सालों में बैंक डिपॉजिट जहां 55.4 लाख करोड़ रुपए बढ़ा वहीं स्मॉल सेविंग्स डिपॉजिट में 4.6 लाख करोड़ रुपए की ही बढ़ोतरी हुई। लेकिन इस बीच कुल जमा में छोटी बचत योजनाओं की हिस्सेदारी लगातार बढ़ी है। 

2016-17 तक बैंकों और पोस्ट ऑफिस की स्मॉल सेविंग स्कीम्स की ब्याज दर एक समान 4% थी। 2021-22 आते-आते बैंकों के औसत डिपॉजिट रेट्स 2.7% रह गए, जबकि पोस्ट ऑफिस की दरें 4% ही रहीं। 2016-17 में 1 साल की सेविंग स्कीम्स के लिए बैंक और पोस्ट ऑफिस, दोनों 6.8% रेट ऑफर कर रहे थे। 2021-22 तक बैंकों की दर 5.3% रह गई, जबकि पोस्ट ऑफिस की दरें 5.5% रहीं। 

बैंक ऑफ बड़ौदा की रिसर्च एनालिस्ट अदिति गुप्ता ने बताया कि देश में कुल 1.56 लाख डाक घरों में से 1.46 लाख (90% से ज्यादा) ग्रामीण इलाकों में हैं। दूसरी तरफ कुल 1.51 लाख बैंक ब्रांच में से सिर्फ 53,380 (35%) ग्रामीण इलाकों में हैं। 

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