2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा भारत, तेजी से होगी वृद्धि 

मुंबई। विभिन्न वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है। अगले पांच साल में यानी 2027 तक अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। मॉर्गन स्टैनली के मुख्य अर्थशास्त्री (एशिया) चेतन अह्या ने एक लेख में कहा कि अवसरों और आकार के लिहाज से भारतीय अर्थव्यवस्था में अपार संभावनाएं हैं। 

उन्होंने कहा, भारत की जीडीपी का आकार अगले 10 साल में दोगुना से ज्यादा बढ़कर 8.5 लाख करोड़ डॉलर का हो जाएगा। अभी इसका आकार 3.4 लाख करोड़ डॉलर है। खास बात है कि भारत की जीडीपी हर साल 400 अरब डॉलर से अधिक बढ़ेगी। इस मामले में सिर्फ अमेरिका और चीन ही भारत से आगे रहेंगे। 2032 तक भारतीय बाजार का पूंजीकरण 3.4 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 11 लाख करोड़ डॉलर हो जाएगा और यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार होगा। 

चेतन ने कहा कि अनुकूल घरेलू और वैश्विक परिस्थितियों के प्रभाव की वजह से भारतीय जीडीपी विकास के पथ पर तेज गति से आगे बढ़ेगी। इसके अलावा, भारत सरकार ने निवेश और रोजगार बढ़ाने के लिए घरेलू नीतियों के मोर्चे पर व्यापक बदलाव किए हैं। इससे विनिर्माण क्षेत्र में निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। 

जीएसटी की शुरुआत से भारत को एक एकीकृत घरेलू बाजार बनाने में मदद मिली। निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की गई। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की गई। इससे भारत की सीमाओं के भीतर और बाहर दोनों जगह से निवेश आकर्षित करने में मदद मिल रही है। 

सरकार के इन प्रयासों से भारत एक बहुध्रुवीय (मल्टीपोलर) दुनिया के रूप में उभरा है। यह विदेशी निवेशकों के लिए पसंदीदा निवेश गंतव्य बन रहा है, जहां कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता ला रही हैं। भारत में कामकाजी उम्र के युवाओं की आबादी लगातार बढ़ रही है। भारत में डिजिटलीकरण तेजी से बढ़ रहा है।   

मॉर्गन स्टैनली के मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा कि भारत की वैश्विक सेवाओं के निर्यात में पहले से ही उच्च हिस्सेदारी है। इस मोर्चे पर भारत ने कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से ही बढ़त बनाई है। भारत अब विनिर्माण निर्यात को बढ़ावा देने के लिहाज से निवेश आकर्षित करने के लिए ठोस प्रयास कर रहा है। नए कारखाने और ऑफिस संगठित क्षेत्र में अधिक रोजगार पैदा करेंगे। उत्पादकता बढ़ेगी, जिससे विकास का एक निरंतर चक्र बन जाएगा। उन्होंने कहा, भारत के नीतिगत दृष्टिकोण में बदलाव इसे निर्यात के लाभ उठाने, बचत बढ़ाने और इससे निवेश करने के पूर्वी एशियाई मॉडल के करीब ले जा रहा है। 

भारत और चीन की जीडीपी में 15 साल का अंतर है। भारतीय जीडीपी आज वहां है, जहां चीन 2007 में था। इस अंतर के बावजूद भारत एक ऐसे चरण में प्रवेश कर रहा है, जहां आय चक्रवृद्धि आधार पर तेजी से बढ़ेगी। 1991 के बाद भारत को अपना जीडीपी 3 लाख करोड़ डॉलर तक लाने में 31 साल लग गए।  

अब अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त 3 लाख करोड़ डॉलर जोड़ने में भारत को महज 7 साल लगेंगे। वैश्विक निवेशकों के लिए विकास की यह दर अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। आने वाले दशक में भारत की वास्तविक विकास दर औसतन 6.5 फीसदी रहेगी। इस अवधि में चीन की अर्थव्यवस्था 3.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ेगी। 

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