मूनलाइटिंग: एक साथ दो जगह करते हैं नौकरी तो जानें कर देनदारी का गणित
मुंबई- मूनलाइटिंग यानी किसी कर्मचारी के एक साथ दो जगह नौकरी करने को लेकर कई कंपनियां नरम रुख अपना रही हैं तो कई इसका विरोध कर रही हैं। आयकर विभाग ने भी मूनलाइटिंग पर टैक्स को लेकर कर्मचारियों को चेतावनी दी है। इसका सीधा मतलब है कि अगर करदाता मूनलाइटिंग कर अपने सालाना पैकेज के अतिरिक्त कमाई करता है तो उसे अपनी अतिरिक्त आय पर भी टैक्स का भुगतान करना होगा।
दरअसल, आयकर कानून में मूनलाइटिंग का अलग से कोई उल्लेख नहीं है। लेकिन, अगर करदाता दूसरे नियोक्ता से वेतन या पेशेवर शुल्क के रूप में कमाई करता है तो अतिरिक्त आय पर टैक्स का भुगतान करना होगा। इस अतिरिक्त कमाई का ब्योरा आयकर रिटर्न (आईटीआर) में नहीं देने पर करदाता के लिए स्थितियां जटिल हो सकती हैं।
टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि आयकर विभाग व्यापार या पेशेवर कमाई पर पीजीबीपी (प्रॉफिट एंड गेन्स फ्रॉम बिजनेस ऑर प्रोफेशन) लाभ के तहत टैक्स लगा सकता है। दूसरी नौकरी के दौरान यात्रा और लैपटॉप आदि पर किए गए खर्च को व्यावसायिक खर्च माना जा सकता है, जिसे करदाता की आय से घटाया जा सकता है। शेष राशि पर स्लैब के हिसाब से टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है। अगर टैक्स देनदारी 10,000 रुपये से अधिक बनती है तो करदाता को 15 फीसदी, 45 फीसदी, 75 फीसदी और 100 फीसदी के हिसाब से चार किस्तों में अग्रिम टैक्स जमा करना होगा।
अगर दूसरी नौकरी आयकर काननू की धारा-44एडीए में सूचीबद्ध पेशे में शामिल है और कमाई 50 लाख रुपये से कम है तो करदाता के पास विकल्प होता है कि वह अपनी कमाई के सिर्फ 50 फीसदी राशि पर ही टैक्स का भुगतान करे। अगर टैक्स भुगतान में 50 फीसदी की फ्लैट छूट मिलती है तो करदाता ऐसे मामलों में टैक्स बचाने के लिए खर्च का सहारा नहीं ले सकता है।
अगर मूनलाइटिंग से होने वाली आय वेतन के रूप में प्राप्त होती है तो टैक्स की गणना जटिल हो सकती है। ऐसे में करदाता को रिटर्न भरते समय समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ सकती है। टीडीएस कटौती के संबंध में नियोक्ता अनुमानित टैक्स योग्य कमाई का आंकड़ा तैयार करते हैं। इस दौरान दोनों नियोक्ता स्टैंडर्ड डिडक्शन के रूप में 50-50 हजार रुपये की कटौती कर सकते हैं, जबकि करदाता सिर्फ एक बार ही स्टैंडर्ड डिडक्शन क्लेम कर सकता है।
मान लीजिए, 50-50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन के बाद एक कंपनी से हर साल आपको वेतन के रूप में 10 लाख रुपये मिलते हैं और मूनलाइटिंग कर दूसरी कंपनी से सालाना 6 लाख रुपये।
इस तरह, स्टैंडर्ड डिडक्शन को जोड़कर दोनों नियोक्ताओं से आपको कुल कमाई 17 लाख रुपये की कमाई हुई। यहां आप आईटीआर भरते समय एक बार ही स्टैंडर्ड डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। इस लिहाज से आपकी कुल सालाना कमाई 16.50 लाख रुपये हुई।
अब 80सी के तहत एक नियोक्ता ने 1.50 लाख रुपये की कटौती की है और दूसरे ने एक लाख रुपये की। लेकिन, आप अधिकतम 1.50 लाख रुपये ही क्लेम कर सकते हैं। इस तरह, 80सी के तहत कटौती के बाद पहले नियोक्ता से आपको करयोग्य 8.50 लाख रुपये की कमाई हुई और दूसरे नियोक्ता से 5 लाख रुपये की। यानी कुल मिलाकर आपकी कुल करयोग्य कमाई 13.50 लाख रुपये हुई। लेकिन, आपको टैक्स का भुगतान 15 लाख रुपये पर करना होगा क्योंकि आप 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन और 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये की छूट पर एक बार ही दावा कर सकते हैं। इस तरह, 1.50 लाख रुपये पर अतिरिक्त टैक्स का भुगतान करना होगा।