बाजार के उतार-चढ़ाव में इन तीन तरीकों से कर सकते हैं अच्छी कमाई  

(निमेश शाह, एमडी-सीईओ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड)

मुंबई- पिछले एक साल से भारत और वैश्विक स्तर पर शेयर बाजार अस्थिर रहे हैं। लगातार बढ़ती महंगाई का मुकाबला करने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि जारी है। इन चुनौतियों और अस्थिर बाहरी वातावरण के बावजूद एक सकारात्मक बात यह है कि भारत में अर्थव्यवस्था स्थिर है। भारत एक साल या पांच साल के आधार पर लगभग सभी उभरते बाजारों से बेहतर प्रदर्शन करते हुए सभी प्रमुख बाजारों में एक अलग मुकाम बनाए हुए है। नतीजतन, भारतीय बाजारों में गिरावट नियंत्रण में है। इससे भारतीय बाजार का मूल्यांकन अभी भी उसके लंबे समय के औसत और दूसरे बाजारों की तुलना में अच्छा रहा है। इसके बावजूद, जोखिम के प्रति सचेत रहना समझदारी है क्योंकि बाजार का मूल्यांकन सस्ता नहीं है।

आज दुनिया पहले की तुलना में बहुत अधिक आपस में जुड़ी हुई है। इस लिहाज से अगर दुनिया में कोई समस्या आती है तो भारत में इक्विटी निवेशकों के लिए सफर इतना आसान भी नहीं हो सकता है। विकसित दुनिया के मंदी के दौर से गुजरने पर भी भारत पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। शेयर बाजार में गिरावट हो तो हमें अत्यधिक चिंतित नहीं होना चाहिए, क्योंकि भारत दुनिया के सबसे संरचनात्मक बाजारों में से एक है। इसके अतिरिक्त, भू-राजनीतिक अनिश्चितता भी एक संभावित कारक है। रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद से, यूरोप और एशिया ने भी भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना किया। बाजार ने अब तक इस तरह के किसी भी मामले पर ध्यान नहीं दिया है। इसलिए यह देखना होगा कि भू-राजनीतिक घटनाक्रम कैसे सामने आता है और आगे बढ़ता है।

एक व्यक्तिगत निवेशक के रूप में, नीचे दिए गए तीन कारक पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है-

डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करें। ब्याज दरें बढ़ने से यह बहुत आकर्षक हो गया है। निवेश के दौरान ऊंची ब्याज को देखते हुए, एक एसेट क्लास-डेट-जिसे अब तक लोकप्रियता हासिल नहीं हुई है (पिछले 18-20 महीनों से) फिर से आकर्षक लग रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाली बैठकों में रेपो दर में बढ़ोतरी होगी, क्योंकि उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें ऊंची है। इसने लगभग सभी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत में भी महंगाई और आरबीआई के समक्ष चुनौती खड़ी की है। इसलिए भविष्य में ऊंची अक्रूअल स्कीम और डाइनॉमिक ड्यूरेशन वाली स्कीम निवेश के लिए बेहतर हैं।

एक प्रकार का डेट जो आगे बेहतर प्रदर्शन कर सकता है वह है फ्लोटिंग रेट बांड अर्थात एफआरबी। निवेशकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि डेट म्यूचुअल फंड की पोर्टफोलियो में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

समाधान उन्मुख ऑफर्स से म्यूचुअल फंड लाभ देते हैं

जब तक अमेरिका का केंद्रीय बैंक महंगाई से निपटने के लिए सभी उपलब्ध उपायों का सहारा लेने के लिए प्रतिबद्ध है, तब तक बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। इसलिए, निवेशकों को विशेष रूप से भारत में सावधानी बरतनी चाहिए। आने वाले वर्ष में, निवेशकों को आदर्श रूप से तीन से पांच साल के समय के साथ एसआईपी के जरिये निवेश करना चाहिए।

इक्विटी निवेश के नजरिए से, एकमुश्त निवेश के लिए निवेशक एसेट अलोकेशन रणनीतियों जैसे कि बैलेंस्ड एडवंटेज या मल्टी एसेट श्रेणी पर विचार कर सकते हैं। योजनाबद्ध, अनुशासित और व्यवस्थित तरीके से विभिन्न वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बूस्टर एसआईपी, बूस्टर एसटीपी, फ्रीडम एसआईपी या फ्रीडम एसडब्ल्यूपी जैसे फीचर्स पर भी विचार कर सकते हैं।

गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ और फंड ऑफ फंड्स

एसेट क्लास में एक विविध पोर्टफोलियो यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी एक ही जगह के जोखिम को कम किया जाए। अनिश्चितता को देखते हुए सोने और चांदी में निवेश करने का एक दिलचस्प मौका सामने होता है। वे न केवल महंगाई के बल्कि मुद्रा में गिरावट के खिलाफ भी बचाव के रूप में काम करते हैं। निवेशक इसमें ईटीएफ के जरिए निवेश करने पर विचार कर सकते हैं। जिनके पास डीमैट खाता नहीं है, उनके लिए सोना या चांदी फंड ऑफ फंड एक निवेश का विकल्प है।

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