भारत के स्टील मैन जमशेद ईरानी का निधन, 1956 में किया था बीएससी
मुंबई- भारत के ‘स्टील मैन’ कहे जाने वाले डॉ जमशेद जे ईरानी का 86 साल की उम्र में निधन हो गया है। पद्म भूषण जमशेद जे ईरानी ने सोमवार (31 अक्टूबर) को जमशेदपुर के टाटा हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली। टाटा स्टील ने एक स्टेटमेंट जारी कर अपने पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर जमशेद ईरानी के निधन की जानकारी दी।
जमशेद जे ईरानी 43 साल की अपनी विरासत को पीछे छोड़ते हुए जून 2011 में टाटा स्टील के बोर्ड से रिटायर हुए थे। उन्होंने कंपनी को कई क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई थी। टाटा स्टील ने कहा, ‘उन्हें एक दूरदर्शी लीडर के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।’
टाटा स्टील ने आगे कहा, ‘जमशेद ईरानी ने 1990 के दशक की शुरुआत में इंडिया के इकोनॉमिक लिबरलाइजेशन के दौरान टाटा स्टील का नेतृत्व किया था। उन्होंने भारत में स्टील इंडस्ट्री की ग्रोथ और डेवलपमेंट में अपना अत्यधिक योगदान दिया।’
2 जून 1936 को नागपुर में जीजी ईरानी और खोरशेद ईरानी के घर जन्मे जमशेद ईरानी ने 1956 में नागपुर के साइंस कॉलेज से BSc और 1958 में नागपुर यूनिवर्सिटी से जूलॉजी में MSc की थी। इसके बाद वे जे एन टाटा स्कॉलर के रूप में UK में शेफील्ड यूनिवर्सिटी गए, जहां से उन्होंने 1960 में मेटलर्जी में मास्टर्स किया। फिर 1963 में उन्होंने मेटलर्जी में ही PhD उपाधि प्राप्त की थी।
जमशेद ईरानी ने 1963 में शेफील्ड में ब्रिटिश आयरन एंड स्टील रिसर्च एसोसिएशन के साथ अपने पेशेवर करियर की शुरुआत की थी, लेकिन वे हमेशा अपने देश की प्रगति में योगदान देने के बारे में सोचते थे। वे 1968 में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (अब टाटा स्टील) में काम करने के लिए भारत लौट आए थे। तब उन्होंने कंपनी में डायरेक्टर इंचार्ज ऑफ रिसर्च एंड डेवलपमेंट के असिस्टेंट के पद पर ज्वॉइन किया था।
असिस्टेंट के पद पर काम करने के बाद जमशेद ईरानी 1978 में जनरल सुपरिटेंडेंट, 1979 में जनरल मैनेजर और 1985 में टाटा स्टील के प्रेसिडेंट बने। इसके बाद फिर वे 1988 में टाटा स्टील के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर और 2001 में रिटायर होने से पहले 1992 में मैनेजिंग डायरेक्टर बने थे।
जमशेद ईरानी 1981 में टाटा स्टील के बोर्ड में शामिल हुए थे और 2001 से एक दशक तक नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर भी रहे। टाटा स्टील और टाटा संस के अलावा डॉ ईरानी ने टाटा मोटर्स और टाटा टेलीसर्विसेज सहित टाटा ग्रुप की कई कंपनियों के डायरेक्टर के रूप में भी काम किया था। उन्होंने 1992 से 1993 तक कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) के नेशनल प्रेसिडेंट का पद भी संभाला था।