पहली छमाही में राजकोषीय घाटा बढ़कर 6.20 लाख करोड़, सरकार का कुल खर्च 18.24 लाख करोड़ 

मुंबई- चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान राजकोषीय घाटा सालाना आधार पर बढ़कर 6,19,849 करोड़ रुपये हो गया है। एक साल पहले यह 5.27 लाख करोड़ रुपये था। कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, पूरे साल के लक्ष्य का यह 37.3 फीसदी है जबकि बजट अनुमान का यह 35 फीसदी है। सरकार की प्राप्ति और उसके खर्च के बीच का जो अंतर है, उसे राजकोषीय घाटा कहते हैं। 

आंकड़ों के अनुसार, सरकार को इस दौरान कुल 12.03 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिला जिसमें टैक्स भी शामिल है। सालाना आधार पर यह 9.5 फीसदी अधिक है। यह बजट अनुमान का 52.7 फीसदी है। इस साल कुल रकम में टैक्स का हिस्सा 10.11 लाख करोड़ रुपये था जो बजट अनुमान का 52.3 फीसदी है। शुद्ध टैक्स राजस्व में 10 फीसदी का इजाफा हुआ है। 

केंद्र सरकार का कुल खर्च इस दौरान 18.23 लाख करोड़ रुपये या 2022-23 के बजट अनुमान का 46.2 फीसदी रहा है। पिछले साल यह 46.7 फीसदी था। 2022-23 के लिए सरकार ने 16.61 लाख करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटा का अनुमान लगाया है। यह देश की जीडीपी के अनुपात में 6.4 फीसदी है। घाटे की कुल रकम में से 4.36 लाख करोड़ रुपये ब्याज भुगतान पर और 1.98 लाख करोड़ रुपये बड़ी सब्सिडी का हिस्सा था। सरकार ने ज्यादातर खर्च सितंबर तिमाही में किया है। 

तमाम अर्थशास्त्री का मानना है कि सरकार का खर्च इस साल 40 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकता है जो एक साल पहले की तुलना में 4 फीसदी अधिक होगा। सब्सिडी पर ज्यादा खर्च हो रहा है। 

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